यूपी में मिट्टी और चूना से जर्मनी के मॉडल पर बनाई 10 KM लंबी सड़क, नई तकनीक से बचेगा करोड़ों का खर्च
बाराबंकी में लोक निर्माण विभाग ने जर्मनी की तकनीक से देवा से सद्दीपुर तक 10 किमी मॉडल सड़क बनाई है। इस सड़क में मिट्टी, सीमेंट, चूना और पुरानी सड़क की ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, बाराबंकी। लोक निर्माण विभाग ने जर्मनी की तकनीक पर आधारित सड़क बनाने की दिशा में बाराबंकी को रोल माडल के तौर पर चुना है। जिले की देवा से सद्दीपुर तक 10 किमी रोड का निर्माण कर प्रयोग को पहली बार धरातल पर उतारा है।
मिट्टी, सूखी सीमेंट, चूना, डामर इमल्शन के साथ ही टूटी सड़क से निकली निष्प्रयोज्य सामग्री को उपयोग में लाकर बनाई गई है। माडल सड़क की गुणवत्ता की गारंटी की 10 वर्ष है। मार्ग निर्माण में प्रयुक्त सामग्री का सैंपल जांच के लिए प्रयोगशाला भेजा गया है। यह रिपोर्ट दो वर्ष बाद विभाग को मिलेगी।
जर्मनी की विशेष मशीन से सूखी मिट्टी, सीमेंट, चूना और क्रस्ट, केमिकल को निर्धारित मानक में मिलाकर करीब एक फीट की गहराई में सामग्री को बिछाया गया और साथ ही डामर इमल्शन का आटोमेटिक मशीन से लेपन कर मानक अनुरूप सड़क तैयार की गई है।
मॉडल सड़क 5.50 मीटर चौड़ी बनाई है। नई तकनीक अगर सफल रही तो सड़क निर्माण में करीब 10 से 15 प्रतिशत की लागत कम हो जाएगी। करीब 10 किमी सड़क की लागत लगभग 16 करोड़ रुपये आई है।
लोक निर्माण विभाग की टीम ने बताया कि फुल डेप्थ रिक्लेमेशन (एफडीआर) तकनीक में पुरानी सड़क के संपूर्ण क्रस्ट यानि अवशेष का दोबारा इस्तेमाल किए जाने से नई सड़क बनाने में बजरी, गिट्टी की जरूरत नहीं पड़ी। निर्माण तेजी से होता है। इस तकनीक से बनी सड़क की मरम्मत में भी खर्च कम आता है।
नई तकनीक की सफलता से होगा पर्यावरण की सुरक्षा
अधिशाषी अभियंता ने बताया कि पहाड़ों काे तोड़ या काटकर बजरी, गिट्टी और सड़क के लिए अन्य सामग्री तैयार होती है। तोड़े जा रहे पत्थरों की बचत होगी। पर्यावरण को सुरक्षा मिलेगी। एफडीआर पद्धति लाने का उद्देश्य यह है कि पर्यावरण को संरक्षित किया जाए।
बाराबंकी में देवा से सद्दीपुर तक करीब 10 किलोमीटर लंबी और साढ़े पांच मीटर चौड़ी सड़क का निर्माण नई तकनीक से किया गया है। जर्मनी से आयातित विशेष मशीन से माडल सड़क का निर्माण सफलता पूर्वक कर लिया गया है। एफडीआर सड़क का प्रयोग देखा जा रहा है।
ई.राजीव राय, अधिशाषी अभियंता, लोक निर्माण विभाग

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