Updated: Tue, 20 May 2025 04:26 PM (IST)
बांदा जिले में साप्ताहिक बंदी का नियम प्रभावी नहीं होने से व्यापारी और मजदूर परेशान हैं। इस नियम का उद्देश्य उन्हें एक दिन का अवकाश देना था जिससे वे अपने परिवार के साथ समय बिता सकें और मानसिक तनाव से बच सकें। लगातार काम करने से ब्रेन फाग जैसी समस्या हो सकती है जिससे कार्य क्षमता प्रभावित होती है।
जागरण संवाददाता, बांदा। जिले के बाजारों की साप्ताहिक बंदी का नियम पिछले कई वर्षोे से बेअसर हो गया है। इसके लागू करने के पीछे मनसा थी कि साप्ताहिक बंदी से व्यापारी, दुकानदार व मजदूर आदि सप्ताह के सात दिनों में से एक दिन अपने व अपने परिवार के साथ रह सकेगा। अपने कुछ महत्वपूर्ण काम पूरा करने के साथ वह छह दिन काम करने के लिए फिर से तैयार हो सकेगा।
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इससे कार्य क्षमता में वृद्धि तो होगी ही, साथ काम में गुणवत्ता भी आएगी। लगातार काम करने से मानसिक उलझन बढ़ती है, जिससे परिवार में छोटी-छोटी बातों को लेकर झगड़े आदि की भी स्थिति बनती है। मनोवैज्ञानिक तर्क के मुताबिक यदि सप्ताह में एक दिन का आराम लिया जाए तो कार्य क्षमता में वृद्धि करने के साथ परिवार में खुशहाली आएगी।
यदि सप्ताह में एक दिन अवकाश रखा जाए तो ब्रेन फाग नामक बीमारी से बचा जा सकता है, जिसके होने से उलझन, नींद में कमी, भ्रम की स्थिति, एकाग्रता में कमी, थकान, सुस्ती, निराशा व तनाव आदि की स्थिति होती है। जिले में शहर समेत तिंदवारी, जसपुरा, पैलानी, बबेरू, अतर्रा, नरैनी, बदौसा, ओरन, कमासिन आदि में कस्बों में बड़ी संख्या में व्यापारिक प्रतिष्ठान हैं।
जहां पर हजारों की संख्या में लोगों काम में लगे रहते हैं। इन सभी बाजारों में साप्ताहिक बंदी का नियम लागू है, लेकिन इसका पालन नहीं किया जा रहा है। शहर में तो मंगलवार को बंदी का थोड़ा असर दिखता है, लेकिन कस्बों में यह व्यवस्था पूरी तरह से बेपटरी है।
साप्ताहिक बंदी शुक्रवार के दिन सभी दुकानें अन्य दिनों की तरह खुली रहती हैं। कोरोना काल के दौरान हो रही परेशानी को लेकर साप्ताहिक बंदी में भी दुकानें खोलने की ढील दी गयी थी। कोरोना तो खत्म हो गया लेकिन यह नियम दोबारा लागू नहीं हो सका। साप्ताहिक बंदी में इसका असर देखने में महज एक दिन के नुकसान का ही लगता है, लेकिन फायदे अनेकों हैं।
काम में लगातार लगे रहने से कार्य क्षमता प्रभावित होती है। इसके लिए सरकारी कार्यालयों में एक दिन के अवकाश की व्यवस्था की गयी है। एक दिन के अवकाश के बाद व्यक्ति अगले छह दिनों के लिए काम करने के लिए तैयार हाेता है।
इसी प्रकार से बाजारों में व्यापारियों व दुकानदारों के अलावा मजदूर भी काम में लगे रहते हैं। यदि साप्ताहिक बंदी की बात करें तो कुछ व्यापारी यह भी तर्क देते हैं कि एक दिन के बंदी से व्यापार में नुकसान हो जाता हैं। लेकिन इसका यह पहलू भी है कि नुकसान के बजाय यदि साप्ताहिक बंदी से मानसिक सुकून मिलेगा, अगले छह दिन काम करने के लिए नई ऊर्जा के साथ काम में लगे मजदूर काम करेंगे, इनकी कार्य क्षमता में वृद्धि होगी।
ज्यादा बेहतर तरीके से काम कर सकेंगे। जिन्हें सप्ताह भर काम मेंं लगाए रहते हैं उनके एक दिन में कई काम प्रभावित होते होंगे। इस बंदी से एक विशेष लाभ यह है कि हम अपने परिवार व निजी कार्यों के लिए एक दिन दे सकेंगे। ताकि परिवारिक संबंध भी मजबूत हो। यदि सातों दिन काम करेंगे तो मानसिक तनाव बढ़ेंगा, इससे चिढचिढापन आने से परिवार में झगड़े आदि की स्थिति बनती है। पारिवार भी विघटित हो रहे हैं।
मनोवैज्ञानिक की सलाह
रानी दुर्गावती मेडिकल कालेज के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डा. हिमांशु सिंह का कहना है कि सप्ताह के सातों दिन काम करने से ब्रेन फाग की स्थिति आ जाती है, यह कोई बीमारी नहीं पर एक ऐसी मानसिक स्थिति है, जिसमें कई कारणों से भ्रम की स्थिति, एकाग्रता में कमी, थकान, सुस्ती, निराशा, तनाव, मन ही मन उलझन होना, तनाव अत्यधिक बढना, नींद न आना, कार्य करने की क्षमता कम होना, दैनिक दिनचर्या धीमी होना, अव्यवस्थित जीवन, जागरूकता में कमी, सांस फूलना आदि समस्याएं होने लगती हैं।
अगर आप पिछले कुछ समय से छोटी-छोटी बातें भूल रहे हैं या फिर अपनी ही कही बातों का याद रखना मुश्किल हो रहा है, तो यह ब्रेन फाग के लक्षण हो सकते हैं। डिप्रेशन या घबराहट की स्थिति में किसी मनोवैज्ञानिक से परामर्श लेने सकते हैं, घबराए नहीं। बस सही समय पर सही परामर्श लेने व संतुलित दिनचर्या से ब्रेन फाग को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है।
साप्ताहिक बंदी करने से लाभ होता है, लेकिन तब जब सभी व्यापारी इसका पालन करें। ज्यादातर इसका पालन नहीं करते हैं, इसलिए मजबूरी में खोलना पड़ता है। रामप्रताप तिवारी, तिंदवारी -साप्ताहिक बंदी का नियम सख्ती से लागू होना चाहिये। इस पर व्यापार मंडल के पदाधिकारियों को भी आगे आना चाहिये। इसके लागू होने से हर वर्ग को फायदा है। -सुखराम मुनीम, जसईपुर
व्यापारियों की सुविधा व स्वास्थ्य को लेकर ही साप्ताहिक बंदी का नियम होता है। सभी को इसे मानना चाहिये। यदि प्रशासन इसमें प्रयास करे तो इसे पूरी तरह से लागू किया जा सकता है। इससे फायदा ही होगा। सत्यप्रकाश सर्राफ, जिलाध्यक्ष उद्योग व्यापार मंडल -सभी काे निजी कार्यों के एक दिन का अवकाश मिलना चाहिये। यदि व्यापारी वर्ग तैयार हो वह पहल करें तो जरूर साप्ताहिक बंदी लागू करवाई जा सकती है। -राजेश कुमार, एडीएम, राजस्व व वित्त
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