UP News: सचिवालयों को हाईटेक करने में 8 करोड़ खर्च; फिर भी शोपीस बनें कंप्यूटर, इनवर्टर समेत ये वस्तुएं
बांदा चित्रकूटधाम मंडल की सभी 1418 ग्राम पंचायतों में पांच-पांच लाख रुपये खर्च कर मिनी सचिवालय भवन बनवाए गए थे। फिर इन्हें कंप्यूटर वाईफाई फर्नीचर तथा सीसीटीवी कैमरों से लैस किया जाना था। ग्राम पंचायतों में इसमें करीब आठ करोड़ रुपये खर्च दिए। इसके बावजूद पंचायत भवनों में कहीं ताला पड़ा है तो कहीं बिजली नहीं पहुंची तो कहीं वाईफाई नहीं लग सका।

जागरण संवाददाता, बांदा: चित्रकूटधाम मंडल की सभी 1418 ग्राम पंचायतों में पांच-पांच लाख रुपये खर्च कर मिनी सचिवालय भवन बनवाए गए थे। फिर इन्हें कंप्यूटर, वाईफाई, फर्नीचर तथा सीसीटीवी कैमरों से लैस किया जाना था। ग्राम पंचायतों में इसमें करीब आठ करोड़ रुपये खर्च दिए। इसके बावजूद पंचायत भवनों में कहीं ताला पड़ा है तो कहीं बिजली नहीं पहुंची तो कहीं वाईफाई नहीं लग सका।
ग्राम पंचायतों का अपना दफ्तर हो, सरकार की थी मंशा
नियुक्त किए गए पंचायत सहायक सिर्फ टाइम पास कर रहे हैं। वहीं खरीदे गए कंप्यूटर व इनवर्टर सचिव व प्रधानों के घरों की शोभा बढ़ा रहे हैं। शासन की मंशा थी कि ग्राम पंचायतों का खुद अपना दफ्तर हो, जो सभी हाईटेक सुविधाओं से लैस हो।
ग्रामीणों को शासन की योजनाओं का मिल सके आसानी से लाभ
पंचायत भवन से ही जन्म-मृत्यु पंजीकरण, परिवार रजिस्टर की नकल, ई-ग्राम स्वराज के सभी भुगतान करना, कार्य योजना की फीडिंग, ग्राम सभा की बैठकों में योगदान, मनरेगा मजदूरों का पंजीकरण, मनरेगा मस्टर रोल निकालना, मनरेगा की सभी आनलाइन फीडिंग जैसे सभी आनलाइन व आफलाइन कार्य कराए जाएं। ताकि ग्रामीणों को शासन की योजनाओं का लाभ आसानी से मिल सके।
1418 ग्राम पंचायतों में पंचायत भवन पर पांच-पांच लाख रुपये हुए खर्च
करीब दो वर्ष पहले मंडल की सभी 1418 ग्राम पंचायतों में पंचायत भवन बनवाए गए। इनमें पांच-पांच लाख रुपये खर्च किए गए। इसके बाद पिछले वर्ष तैयार हुए मिनी सचिवालयों को कंप्यूटर और वाईफाई, सीसीटीवी कैमरे से लैस करने का आदेश आया।
कई जगह इंटरनेट व लाइट की नहीं है सुविधा
प्रत्येक ग्राम पंचायतों ने गेटवे पोर्टल के जरिए पौने दो लाख की लागत से कंप्यूटर, इन्वर्टर, फर्नीचर, पंखा, सीसीटीवी कैमरे आदि सामग्री खरीदी। जबकि अभी तक तमाम जगहों पर अभी पंचायत भवन पूरी तरह तैयार भी नहीं हो सके जबकि कई जगह लाइट की सुविधा नहीं है तो कहीं इंटरनेट की व्यवस्थाएं नहीं हैं।
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यहां ग्राम प्रधानों व सचिवों ने कंप्यूटर, फर्नीचर, इन्वर्टर, पंखा आदि खरीद तो लिए हैं, लेकिन पंचायत भवनों के बजाए यह उनके घरों की शोभा बढ़ा रहे हैं। सभी ग्राम पंचायतों में पंचायत सहायकों की नियुक्ति की गई। लेकिन यह सब सुविधाएं न होने के कारण वह सचिव व प्रधान की जी-हुजूरी में लगे रहते हैंं। इनका मानदेय भी महीनों से नहीं दिया जा रहा है।
कहते हैं जिम्मेदार
बांदा डीपीआरओ अजय आनंद सरोज के अनुसार, सभी ग्राम पंचायतों के मिनी सचिवालयों में शासनादेश के मुताबिक, कंप्यूटर व इन्वर्टर आदि खरीदे गए हैं। एकाध पंचायतों को छोड़कर सभी जगह कंप्यूटर काम कर रहे हैं। क्योंकि अब ग्राम पंचायतों में होने वाले विकास कार्यों व मनरेगा आदि के भुगतान वहीं से गेटवे पोर्टल के जरिए होना है।
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