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    दवा का छिड़काव कर मक्खी कीट से बचाएं फसल

    ट फलों को अत्यधिक नुकसान पहुंचा रही है। इससे फल में दाग. धब्बे के साथ फल सड़न की समस्या आती है। फसलों का उचित मूल्य भी नहीं मिल पाता है। इसके रोकथाम के लिये इमिडाक्लोप्रिड 17.

    By JagranEdited By: Updated: Sun, 31 May 2020 06:02 AM (IST)
    दवा का छिड़काव कर मक्खी कीट से बचाएं फसल

    जागरण संवाददाता, बांदा : लगातार बढ़ते तापमान व तेज धूप में सब्जी फसल की देखभाल बेहद आवश्यक है। बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय फसलों के बचाव को लेकर लगातार किसानों को सजग कर रहा है। कृषि विज्ञान केंद्र, बांदा के वैज्ञानिकों ने फसलों की सुरक्षा के लिए रासायनिक छिड़काव की बात कही है।

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    कृषि वैज्ञानिक डॉ. मंजुल पांडेय ने बताया कि ग्रीष्मकाल में अधिकतर कृषक कद्दू वर्गीय सब्जियों. ककड़ी, खीरा, खरबूजा, तरबूज, तरोई, लौकी आदि की खेती करते हैं। इस समय लगने वाली फल मक्खी कीट फलों को अत्यधिक नुकसान पहुंचा रही है। इससे फल में दाग. धब्बे के साथ फल सड़न की समस्या आती है। फसलों का उचित मूल्य भी नहीं मिल पाता है। इसके रोकथाम के लिये इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल दवा को 7 मिली./15 लीटर पानी में घोल बनाकर दोपहर के बाद छिड़काव करना लाभकारी होगा। इस तरह रस चूसक कीटों के जैविक नियंत्रण के लिये पीला मैजिक चिपचिपा पाश को 20.25 एकड़ की दर से अवश्य लगाये। जिससे कीटों की प्रजनन क्षमता कम होती है। तना गलन एवं पर्णीय रोगों के लिये कापर आक्सीक्लोराइड 2 ग्राम/लीटर पानी की दर से छिड़काव करना चाहिये। 10-15 दिन के अंतराल पर पुन: छिड़काव अवश्य करना चाहिये। फलमक्खी नियंत्रण के लिये फलमक्खी ट्रैप प्रति एकड़ का प्रयोग कर सकते है। फलमक्खी ट्रैप बाजार में आसानी से उपलब्ध है।