बंदर पकड़ने के एवज में 50 हजार रुपये लेती मथुरा की टीम
को बनाया शिकारजागरण संवाददाता

बंदर पकड़ने के एवज में 50 हजार रुपये लेती मथुरा की टीम
जागरण संवाददाता, बांदा : किसी भी गांव या मोहल्ले में यदि बंदर का आतंक है और उसे पकड़ना है तो मोटी रकम तैयार रखनी होगी। मथुरा से बंदर पकड़ने आने वाली टीम एक बार का 50 हजार रुपये मेहनताना लेती है। यह राशि वन विभाग और ग्रामीण चंदा कर इकट्ठा करते हैं। साथ ही यदि संबंधित स्थान पर 200 से ज्यादा बंदर पकड़ने का ठेका मिलता है, तभी आती है। वन विभाग के पास बंदर पकड़ने के लिए कोई सुविधा व संसाधन नहीं हैं।
जनपद में इन दिनों कई गांवों व कस्बों में बंदरों का आतंक है। तिंदवारी के पिपरगवां में भटककर आया बंदर 50 लोगों पर हमला कर जख्मी कर चुका है। वहीं पिछले वर्ष लामा गांव में बंदर के हमले से कई लोग घायल हुए थे। रेलवे स्टेशन और शहर के कई मोहल्ले बंदरों के आतंक से परेशान रहते हैं। बड़ोखर बुजुर्ग में काले मुंह के बंदरों ने लोगों की नींद उड़ा दी है। ग्रामीण यदि बंदरों से निजात पाने के लिए वन विभाग में शिकायत करते हैं तो कोई फायदा नहीं होता। वन विभाग के पास बंदर पकड़ने के लिए न तो प्रशिक्षित कर्मी हैं और न ही कोई सुविधा या संसाधन ही हैं। यदि बंदर पकड़ने की शिकायतें आती हैं तो सिरे से खारिज कर दी जाती हैं। बंदर पकड़ने वाली टीम को मथुरा या आगरा से बुलाया जाता है। टीम एक बार के लिए कम से कम 50 हजार रुपये लेती है। जहां बंदरों का आतंक होता है, वहां के लोग और वन विभाग चंदा कर यह कीमत चुकाते हैं। यदि 200 के नीचे बंदर हैं, तो मथुरा की यह टीम आने से मना कर देती है। स्थानीय स्तर पर कालिंजर क्षेत्र में कुछ लोग बंदर पकड़ने का काम करते हैं। लेकिन यह भी मोटी रकम लेते हैं।
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-गांव व मोहल्लों में आतंक मचाने वाले कटखने बंदरों को पकड़ने के लिए विभाग के पास कोई सुविधा व संसाधन नहीं हैं। न ही कर्मचारी प्रशिक्षित हैं। यदि बंदरों को पकडवाना है तो ग्रामीण आएं और चंदा को लेकर बातचीत करें। कुछ वन विभाग मदद करेगा और कुछ ग्रामीण। मथुरा या आगरा से टीम को बुलाकर बंदर पकड़वाए जाएंगे।
-संजय अग्रवाल, प्रभागीय वनाधिकारी, बांदा
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