Banda News: रेलवे स्टेशन हादसा की जांच को डीआरएम ने गठित की टीम, ट्रैक मरम्मत कार्य पर उठे सवाल
बांदा रेलवे स्टेशन पर मालगाड़ी के आयल वैगन में आग लगने से रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठे हैं। रेलकर्मियों की सतर्कता से बड़ा हादसा टला। डीआरएम झांसी ने जांच के लिए टीम गठित की है। वेल्डिंग की चिंगारी से आग लगने की आशंका है जिसमें 70 हजार लीटर पेट्रोल था। यात्रियों ने दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है। जांच रिपोर्ट का इंतजार है।

जागरण संवाददाता, बांदा। गुरुवार को रेलवे स्टेशन पर मालगाड़ी के एक आयल वैगन पेट्रोल टैंकर में लगी आग की घटना ने रेलवे प्रबंधन की कार्यशैली और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
हालांकि, रेलकर्मियों की सतर्कता और त्वरित कार्रवाई से बड़ा हादसा टल गया, लेकिन अब इस पूरे मामले ने जांच का रूप ले लिया है।
डीआरएम झांसी दीपक कुमार सिंहा ने छह सदस्यीय जांच टीम गठित कर विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। टीम यह जांच करेगी कि इतनी बड़ी लापरवाही आखिर कैसे हुई और किस स्तर पर सुरक्षा मानकों की अनदेखी की गई।
जिस समय हादसा हुआ उस वक्त स्टेशन पर पटरियों की मरम्मत का कार्य चल रहा था। प्रारंभिक जांच में आशंका जताई जा रही है कि वेल्डिंग मशीन से निकली चिंगारी पास में खड़े आयल वैगन तक पहुंची और अचानक आग भड़क उठी।
हालांकि, आग पर तुरंत काबू पा लिया गया, लेकिन जिस आयल वैगन में आग लगी थी। उसमें करीब 70 हजार लीटर पेट्रोल भरा हुआ था। वहीं, उसके साथ ही तीन अन्य डिब्बे और खड़े थे। अगर लपटें फैलतीं और विस्फोट होता तो स्टेशन ही नहीं आसपास का क्षेत्र भयावह त्रासदी की चपेट में आ सकता था।
हालांकि, आग लगने के जानकारी होते ही आरपीएफ थाना प्रभारी सुरूचि द्विवेदी व उनकी टीम ने सक्रियता दिखाते हुए स्टेशन का प्लेटफार्म यात्रियों से खाली कराया था। साथ ही अपनी जान की परवाह किए बिना आरपीएफ कर्मियों ने थाने में रखे फायर उपकरणों से आग काबू की थी। दमकल कर्मियों को भी सूचित किया गया था। इससे वह भी पहुंचे थे।
रेलवे सूत्रों के अनुसार, जांच टीम में सीनियर इंजीनियरिंग अधिकारी, सिग्नल विभाग, सुरक्षा विभाग और ट्रैक मेंटेनेंस विभाग से जुड़े अधिकारी शामिल किए गए हैं। खासतौर पर ट्रैक मेंटेनेंस विभाग की भूमिका पर सवाल उठे हैं, क्योंकि मरम्मत कार्य के दौरान सुरक्षा उपायों का पूरा पालन किया जाना चाहिए था।
ऐसी स्थिति में ज्वलनशील पदार्थ से भरे वैगनों को नजदीक खड़ा रखना नियमों के विपरीत माना जा रहा है। स्थानीय लोगों और यात्रियों ने भी घटना पर नाराजगी जताते हुए कहा कि स्टेशन परिसर में इस तरह की लापरवाही कभी भी हजारों लोगों की जान जोखिम में डाल सकती थी।
रेलकर्मियों की सतर्कता काबिले तारीफ रही, लेकिन सवाल यह है कि आग लगने की स्थिति ही क्यों बनी।
लापरवाही पर दोषियों के विरुद्ध हो कार्रवाई
वैगन में आग लगने की घटना को लेकर यात्रियों ने मांग किया कि दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाए। जिससे भविष्य में इस तरह की घटनाएं न दोहराई जाएं। प्रकरण को गंभीरता से लिया जाना जरूरी है।
जांच रिपोर्ट से आग लगने का स्पष्ट होगा कारण
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि जांच रिपोर्ट आने के बाद ही वास्तविक कारण स्पष्ट होंगे। फिलहाल तकनीकी खराबी और वेल्डिंग की चिंगारी को संभावित कारण माना जा रहा है। डीआरएम ने निर्देश दिए हैं कि जांच टीम सात दिन के भीतर रिपोर्ट सौंपे।
इसके साथ ही सुरक्षा प्रोटोकाल की समीक्षा कर भविष्य में ऐसे हालात से बचने के लिए पुख्ता इंतजाम किए जाएंगे। यह घटना एक बार फिर रेलवे सुरक्षा तंत्र की कमियों को उजागर करती है।
बांदा स्टेशन पर समय रहते आग पर काबू पा लिया गया, लेकिन यह हादसा बड़ा सबक भी छोड़ गया है कि जरा-सी चूक कितनी बड़ी तबाही ला सकती है।
अब देखना यह है कि इस घटना के बाद से विभाग की ओर से भविष्य के लिए क्या सुधारात्मक कदम उठाए जाते हैं। हालांकि इस मामले में पीआरओ झांसी से संपर्क करने का प्रयास किया पर उन्होंने फोन काट दिया। वहीं स्थानीय अधिकारी इस प्रकरण पर कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं।
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