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    पूर्व विधायक के भतीजे की हत्या मामले में पिता-पुत्र समेत चार को उम्रकैद, पांच साल बाद कोर्ट का फैसला

    Updated: Tue, 18 Nov 2025 07:52 PM (IST)

    बांदा में पूर्व विधायक के भतीजे की हत्या के मामले में अदालत ने पिता-पुत्र समेत चार दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। उन पर जुर्माना भी लगाया गया है। यह घटना मकान बनाने के विवाद को लेकर हुई थी, जिसमें आरोपियों ने विजय सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी थी। अदालत ने साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर यह फैसला सुनाया।

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    जागरण संवाददाता, बांदा। पूर्व विधायक के पारिवारिक भतीजे की मकान बनाने के विवाद में घर के बाहर गोली मारकर हत्या करने में पिता,पुत्र समेत चार दोषियों को अपर सत्र न्यायाधीश एवं विशेष न्यायाधीश ईसी एक्ट छोटे लाल यादव की अदालत ने मंगलवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

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    साथ ही अभियुक्त वीरेंद्र सिंह उर्फ बिंदा व शिवपूजन आरख को 11000-11000 रुपयें का अर्थदंड व हर्षित सिंह व अभिषेक उर्फ अंशू सिंह को 10000-10000 रुपये का जुर्माना लगाया।

    अर्थदंड की अदायगी न करने पर दोषियों को एक-एक वर्ष की अतिरिक्त सजा काटनी होगी। सभी दोषियों को सजायावी वारंट बनाकर पुलिस हिरासत में जेल भेज दिया। घटना के पांच साल पांच माह व 16 दिन बाद 80 पृष्ठीय फैसला आया। जिसमें कुल 10 गवाह पेश किए गए।

    सहायक शासकीय अधिवक्ता मनोज दीक्षित व रामकुमार सिंह ने बताया कि कोतवाली देहात क्षेत्र के ग्राम गुरेह निवासी नितेश सिंह पुत्र विनोद सिंह ने कोतवाली देहात में 23 जून 2020 को रिपोर्ट दर्ज करायी थी। जिसमें बताया कि एक जून 2020 की रात 11 बजे उसके घर के सामने रहने वाले वीरेंद्र सिंह उर्फ बिंदा व हर्षित सिंह आदि ने घर में घुसकर लूटपाट किया व जान से मारने की नीयत से बिंदा सिंह आदि ने विपुल व लब्बू के उपर फायर किया।

    डायल 112 पुलिस को सूचना दिया लेकिन पुलिस ने रिपोर्ट नहीं लिखी। तीन जून 2021 को बिंदा सिंह,उसका पुत्र हर्षित व पडोसी अंशू सिंह रात्रि 11 बजे पुनः गाली गलौच करते हुए नाजायज असलहों से जान से मारने की नीयत से फायर किया। पुलिस को सूचना दी गयी लेकिन पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज नहीं कि तब पिता विनोद सिंह ने पुलिस के उच्चाधिकारियों को रजिस्टर्ड प्रार्थना पत्र देकर सूचित किया। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गयी।

    22 जून 2020 को सुबह 10 बजे दिन में बिंदा सिंह व हर्षित सिंह व अंशू सिंह गालियां देते हुए उसके घर घुस आए तो पुलिस ने विपुल,विजय व हर्षित को 151 शांति भंग में चालान कर दिया। जमानत से छूटकर घर पहुंचे और उसी दिन समय शाम साढ़े पांच बजे उसके भाई विजय सिंह उर्फ लब्बू घर के सामने दीवाल की पट्टी पर बैठा था।

    उसी रंजिश की बजह से बिंदा सिंह अपने हाथ में तमंचा व हर्षित सिंह अपने हाथ में डंडा, शिवपूजन आरख बरछी व अंशू सिंह सभी ने एक राय होकर विजय सिंह की हत्या की योजना बनायी। इरादा भांपकर विजय सिंह भागने को हुआ तो शिवपूजन आरख ने विजय सिंह को पकड लिया और ललकारा कि मारो,बचने न पाए।

    तभी हर्षित सिंह ने डंडा से वार किया और बिंदा सिंह ने तमंचे से विजय सिंह के ऊपर जान से मारने की नीयत से फायर किया। विजय सिंह के सीने के बगल में गोली लगी।यह घटना गांव के लोगों ने देखा।

    सभी दोषी हत्या करके भाग गए।विजय सिंह को अस्पताल ले जाया गया जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।विवेचक ने मामले का आरोप पत्र 14 जुलाई 2020 को न्यायालय मे पेश किया। सभी दोषियों के विरुद्व 24 सितंबर 2021 को आरोप बनाया गया।

    मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन की ओर से 10 गवाह पेश किए गए। पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर न्यायाधीश ने अपने 80 पृष्ठीय फैसले मे वीरेंद्र सिंह उर्फ बिंदा सिंह पुत्र सुखवीर व उसके पुत्र हर्षित सिंह ,शिवपूजन आरख पुत्र सियाराम व अभिषेक उर्फ अंशू सिंह पुत्र प्रदीप को दोषी पाकर सजा सुनाई।

    सहायक शासकीय अधिवक्ता मनोज दीक्षित ने यह भी बताया कि विवाद की वजह जहां मकान बनने का विवाद दर्शाया गया था। वहीं गोली लगने से दम तोड़ने वाला युवक पूर्व विधायक स्व: चंदाभइया का भतीजा था।