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    कविता गुनगुना रहीं बुंदेलखंडी हक की 'लहरिया'

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 06 Nov 2019 06:25 AM (IST)

    विमल पाडेय बादा ग्रामीण पत्रकारिता के जरिए सामाजिक मुद्दों और मूल्यों के लिए लड़ने वाली क

    कविता गुनगुना रहीं बुंदेलखंडी हक की 'लहरिया'

    विमल पाडेय, बादा : ग्रामीण पत्रकारिता के जरिए सामाजिक मुद्दों और मूल्यों के लिए लड़ने वाली कविता बुंदेलखंडी हक की 'लहरिया' गुनगुना रही हैं। 2002 में महिलाओं द्वारा संचालित दुनिया के पहले न्यूज नेटवर्क से जुड़कर बुंदेलखंड की जमीनी हकीकत बयां करने वाली कविता जल्द ही मशहूर फिल्म अभिनेता शाहरुख खान के नए शो 'टेड टॉक' का हिस्सा बनेंगी। आगामी 9 नवंबर से स्टार प्लस पर शुरू हो रहे इस कार्यक्रम का प्रसारण प्रत्येक शनिवार और रविवार को रात साढ़े नौ बजे होगा।

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    शाहरुख से मुलाकात कर वापस लौटीं कविता आत्मविश्वास से लबरेज नजर आई। उन्होंने बताया कि बुंदेलखंड की दिशा और दशा बदलना ही मेरा सपना है। महिलाओं की समस्याओं को प्रमुखता से उठाना और उन्हें स्वावलंबन की दिशा देना ही लक्ष्य है। मूलत: चित्रकूट के कुंजनपुरवा की रहने वाली कविता फिलहाल बांदा शहर के गायत्री नगर मोहल्ले में किराए पर रहती हैं। यहीं से वह संपादक के तौर पर 'खबर लहरिया' अखबार का संचालन करती हैं, जो अब एक यू-टयूब चैनल का रूप ले चुका है। पति राम सिंह एक एनजीओ में काम करते हैं।

    30 वर्षीय कविता बताती हैं कि मेरे पिता ने बचपन में ही यह तय कर लिया था पढ़ा लिखाकर कोई आइएएस तो नहीं बनाना है, तब शायद यह सोच उस पिछड़ी मानसिकता का हिस्सा थी, जिसका बुंदेलखंड के हर घर में बड़ी कट्टरता के साथ पालन होता था। ऐसे में अनेक चुनौतियां एवं बाधाओं को पार कर अपना अलग मुकाम बनाने की खुशी होती है। उन्होंने बताया कि यहां की महिलाएं आगे बढ़ें इसलिए खबर लहरिया अखबार से सिर्फ महिलाओं को ही जोड़ा गया है। खबर लहरिया को यूनेस्को ने किंग सेजोंग लिट्रेसी सम्मान 2009 से नवाजा है।

    कभी नहीं सोचा था पत्रकार बनूंगी

    कविता कहती हैं कि मैनें कभी नहीं सोचा था कि पत्रकार बनूंगी। पिता जी ने बचपन में पढ़ाई नहीं कराई। चोरी-छिपे शिक्षा ली। 2002 में शुरू हुए बुंदेली अखबार लहरिया से जुड़कर पत्रकार के रूप में काम किया। 2006 में बांदा से प्रकाशन शुरू हुआ। अब संपादक हूं। पिछले वर्ष ही स्नातक की परीक्षा पास की है।