कबाड़ में बेच दीं गई चार सरकारी एंबुलेंस, वाहनों को कटता देख लोगों ने की शिकायत तो हुआ खुलासा
चार एंबुलेंस 108 अतर्रा चुंगी के पास एक कबाड़ी की दुकान में खड़ी नजर आईं। ये एंबुलेंस कहां से आईं हैं इसके बारे में संबंधित अधिकारी बता नहीं पा रहे। एंबुलेंस संचालन करने वाली कंपनी के अजय कुमार ने बताया कि उन्हें इन एंबुलेंस के बारे में जानकारी नहीं है।
जागरण संवाददाता, बांदा : कबाड़ी की दुकान में प्राथमिक स्कूलों की किताबें मिलने का मामला ठंडा भी नहीं पड़ा था कि अब सरकारी एंबुलेंस भी कबाड़ में बेच दी गईं। अतर्रा चुंगी के पास 108 की चार एंबुलेंस कबाड़ी की दुकान में कटते दिखीं तो राहगीर ठिठक गए और इसकी सूचना अन्य लोगों को दी। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अपने यहां से कोई एंबुलेंस न बेचने की बात कह रहे हैं।
कबाड़ी आरिफ ने बताया कि वह चारों एंबुलेंस भूरागढ़ बाईपास पर स्थित वर्कशाप से लाया है। इन्हें एक डाक्टर और एंबुलेंस चलवाने वाली कंपनी के अधिकारी ने बेचा है। इनमें से दो बिना इंजन की थीं, जिन्हें 55 हजार रुपये में खरीदा है। अन्य दो के लिए 65 हजार रुपये चुकाए हैं। बेचने वाले लोगों ने उससे नकद रुपये लिए हैं।
इसके साथ ही दो हजार रुपये अलग से लिए थे। जनपद में 23 एंबुलेंस 108 व 21 एंबुलेंस 102 की संचालित हो रही हैं। रविवार शाम चार एंबुलेंस 108 अतर्रा चुंगी के पास एक कबाड़ी की दुकान में खड़ी नजर आईं। ये एंबुलेंस कहां से आईं हैं, इसके बारे में संबंधित अधिकारी बता नहीं पा रहे। एंबुलेंस संचालन करने वाली कंपनी जीवीके के जिला कोर्डिनेटर अजय कुमार ने बताया कि उन्हें इन एंबुलेंस के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
बैकअप की पुरानी एंबुलेंस किसी अन्य जनपद की हो सकती हैं। इस नंबर की एंबुलेंस यहां संचालित नहीं हो रही हैं। कंपनी के प्रोग्राम मैनेजर शुभम तोमर ने बताया कि कंडम एंबुलेंस की नीलामी की जाती है। लखनऊ में कंपनी की ओर से। जो एंबुलेंस कबाड़ी के यहां मिली हैं वह बांदा की नहीं हैं। सीएमओ डा. अनिल श्रीवास्तव ने बताया कि एंबुलेंसों की नीलामी जिले में नहीं हुई हैं। किसी अन्य जनपद की एंबुलेंस को लाकर यहां काटा जा रहा होगा।
महोबा की एक एंबुलेंस का नहीं हो पाया सौदा
कबाड़ी आरिफ ने बताया कि जिन लोगों ने यह चार एंबुलेंस बेची हैं, उन्होंने महोबा की भी एक एंबुलेंस बेचने की बात कही थी। आरिफ के अनुसार उसकी कीमत 75 हजार रुपये मांगी जा रही थी, इसलिए सौदा नहीं हो पाया।
कबाड़ी के यहां मिली थीं प्राथमिक स्कूलों की किताबें
अतर्रा रोड पर ही पिछले दिनों दो कबाड़ियों के यहां प्राथमिक स्कूलों में बांटी जाने वाली सरकारी किताबें मिली थीं। मामले की जांच अब तक चल रही है और अधिकारी अब तक यह नहीं तय कर पाए हैं कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है।