संपत्ति के लिए पिता और सौतेले भाई का बन बैठा था हत्यारा, पेट्रोल डाल जला दिया था, मिली उम्र कैद
बांदा में आठ साल पहले हत्या के मामले में कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। पिता व सौतले भाई को पेट्रोल डाल जलाकर मारने में दोषी को सजा सुनाई गई। संपत्ति विवाद में दोषी ने दोनों लोगों को जला दिया था। कुछ दिन बाद दोनों की मौत हो गई थी।
जागरण संवाददाता, बांदा। जमीन के बंटवारे के विवाद में पिता व सौतले भाई को पेट्रोल डाल जलाकर हत्या करने के दोषी को अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम चंद्रपाल द्वितीय ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई। साथ ही अन्य धाराओं में सजा सहित 22 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। जुर्माना अदा न करने पर दोषी को दो वर्ष अतिरिक्त सजा काटनी होगी। दोषी को सजायावी वारंट बनाकर जेल भेज दिया गया। घटना के सात साल नौ माह बाद फैसला आया है।
सहायक शासकीय अधिवक्ता श्रवण कुमार तिवारी ने बताया कि तिंदवारी थाना क्षेत्र के भिड़ौरा गांव निवासी पूनम सिंह ने 29 सितंबर 2017 को एसपी को प्रार्थना पत्र देकर रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जिसमें बताया था कि उसके पति के पहली पत्नी की मृत्यु हो गई थी। जिसमें पहली पत्नी से उसका पुत्र विश्वनाथ प्रताप सिंह शादीशुदा है। उसका आपसी बंटवारा होकर अलग रहता है।
सुबह आठ बजे उसका पति रामखेलावन व पुत्र उदय प्रताप, शिवप्रताप, मेरा भाई धर्मेंद्र सिंह निवासी हनुमान ताला जिला जबलपुर से घटना के दिन ही भिड़ौरा गांव उनके घर आया था। सभी लोग आंगन में बैठकर बात कर रहे थे। इतने में विश्वनाथ प्रताप सिंह गाली देते हुए आंगन में घुस आया। जहां उसने मेरे बाल पकड़कर घसीटना शुरू कर दिया। उसका पति व भाई धर्मेंद्र ने बीच-बचाव किया। इतने में वह अपने घर की तरफ विश्वनाथ प्रताप भाग गया।
पुत्र उदय प्रताप व पति रामखेलावन आंगन से बाहर निकल रहे थे। तभी सौतेला पुत्र विश्वनाथ प्रताप प्लास्टिक के डिब्बे में पेट्रोल लेकर आया। पति व पुत्र उदय प्रताप पर उसने पेट्रोल डालकर लाइटर से आग लगा दी। जिससे दोनों गंभीर अवस्था में जल गए। दोनों को झुलसी हालत में तिंदवारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व बाद में जिला अस्पताल से कानपुर रेफर किया गया। जिसमें पति की मृत्यु कानपुर अस्पताल गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कालेज में चार अक्टूबर 2017 को हो गई थी।
बाद में पुत्र उदय की मौत कानपुर के एक निजी अस्पताल में 10 अक्टूबर को हो गई। यह भी आरोप लगाया था कि उसके देवर रामकरन का कत्ल इस घटना से 25 वर्ष पहले हो गया था। जिसमें उसके पति रामखेलावन को फंसाया गया था। इसी रंजिश से देवर की पत्नी रामरती और उसके पुत्र शमशेर सिंह मेरे पति से रंजिश मानते थे। जिसके चलते दोनों ने साजिश रचते हुए विश्वनाथ प्रताप से हत्या कराई है। लेकिन विवेचक ने केवल विश्वनाथ प्रताप के विरुद्ध 16 दिसंबर 2017 को आरोप पत्र न्यायालय में पेश किया था।
मामले की सुनवाई के समय सात मई 2018 को विश्वनाथ प्रताप के विरुद्ध न्पायालय ने आरोप पत्र बनाया।मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन की ओर से दस गवाह पेश किए गए। पत्रावालियों में उपलब्ध साक्ष्यों व दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की दलीलें सुनने के बाद न्यायाधीश ने अपने 30 पृष्ठीय फैसले में विश्वनााथ प्रताप सिंह को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई है।
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