आर्थिक तंगी से जूझ रहे बुंदेलखंड को मिले अलग राज्य का दर्जा
ग्राम अईला मुंगूस के पुरवा में कुछ परिवारों ने घास की रोटी बनाकर अपनी जिदगी गुजारने पर मजबूर हो गए थे। इसके बावजूद भी स्थानीय प्रशासन कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा। गरीब मजदूरों की समस्याओं का समाधान नही हो रहा है। आखिर कब तक बुंदेलखंड की जनता को इन परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। यहां के बाशिदे अन्य राज्यों में जाकर अपनी रोजी-रोटी चला रहे थे कि कोरोना महामारी ने वह भी छीन लिया। बुंदेलखंड के मजदूरों को रोजगार का कोई साधन नहीं दिख रहा। सत्तारूढ दल के स्टार प्रचारकों ने भी चुनाव के समय अलग राज्य बनाने की बात कही लेकिन बाद में कुछ नहीं किया गया है। उन्होंने राष्ट्रपति को पत्र भेजकर अति पिछड़े क्षेत्र बुंदेलखंड को अलग राज्य/बुंदेलखंड के नाम से दर्जा देने की बात कही है। साथ ही क्षेत्र में उद्योग संस्थान आदि लगवाने की मांग की है
जागरण संवाददाता, बांदा : बुंदेलखंड इंसाफ सेना ने संसाधनों से भरपूर बुंदेलखंड के पिछड़ेपन का कारण अलग राज्य न होना माना है। इंसाफ सेना के कार्यकर्ताओं ने डीएम के माध्यम से राष्ट्रपति को मांग पत्र भेजा है। यहां के लोगों को असमय मौत के मुंह में जाने से बचाने की अपील की है। कहा कि अलग राज्य बनाकर क्षेत्र में उद्योग धंधे के माध्यम से जनजीवन को बचाया जा सकता है।
बुंदेलखंड इंसाफ सेना के अध्यक्ष एएस नोमानी ने कहा कि पूरा बुंदेलखंड आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। यहां रोजगार के अवसर न के बराबर है। कोरोना जैसी आपदा के चलते यहां का गरीब मजदूर गरीबी से तंग आकर मिट्टी का तेल डालकर खुद को जिदा फूंकने पर मजबूर है। कोई रस्सी से फांसी लगाकर अपनी जान दे रहा है। कोई मां अपने दुधमुंहे बच्चों को दूध में जहर मिलाकर पिला रही हैं और खुद भी पी रही है। इन सबके पीछे मूल रूप से आर्थिक तंगी है। गांव व शहर की कई गलियों में भूख से तड़पते लोग मिल जाएंगे। इसके बावजूद भी स्थानीय प्रशासन कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा। बुंदेलखंड के मजदूरों को रोजगार का कोई साधन नहीं दिख रहा। सत्तारूढ दल के स्टार प्रचारकों ने भी चुनाव के समय अलग राज्य बनाने की बात कही लेकिन बाद में कुछ नहीं किया गया है। उन्होंने राष्ट्रपति को पत्र भेजकर अति पिछड़े क्षेत्र बुंदेलखंड को अलग राज्य/बुंदेलखंड के नाम से दर्जा देने की बात कही है। साथ ही क्षेत्र में उद्योग संस्थान आदि लगवाने की मांग की है।