बांदा में मरीजों से अस्पताल फुल, कुर्सी में बैठकर चढ़वा रहे ग्लूकोज
बांदा में मौसम के बदलाव से बीमारियों का प्रकोप बढ़ गया है जिससे जिला अस्पताल मरीजों से भरा हुआ है। ओपीडी में रोजाना लगभग 1600 मरीज आ रहे हैं जिनमें बुखार और पेट दर्द के मरीज अधिक हैं। बेड की कमी के कारण मरीजों को परेशानी हो रही है। डॉक्टर मरीजों को सावधानी बरतने और बचाव के उपाय अपनाने की सलाह दे रहे हैं।

जागरण संवाददाता, बांदा । मौसम के उतार-चढ़ाव से बीमारियों का फैलाव हो रहा है। अस्पताल खुलने के पहले भीड़ लगने लगती है। अस्पताल बंद होने तक मरीजों का तांता लगा रहता है। अस्पताल के बेड फुल बने हैं। मरीजों को कुर्सी में बैठकर ग्लोज चढ़वाते हैं। हालत बिगड़ने पर 18 मरीजों को भर्ती कराया गया है। इसमें एक या दो डेंगू के लक्षण वाले मरीज भी आना शुरू हो गए हैं। बचाव के नाम लापरवाही न करें।
सितंबर माह में कभी वर्षा तो कभी तेज धूप निकल रही है। मौसम के बदलाव से बीमारियां का फैलाव का समय चल रहा है। रोजाना ओपीडी में औसतन 1600 मरीजों का उपचार हो रहा है। बुखार व पेट दर्द, डायरिया वाले मरीज ज्यादा अस्पताल पहुंच रहे हैं। गंभीर 150 मरीज भर्ती हो रहे हैं। जिसमें 50 प्रतिशत मरीज इन्हीं बीमारियों वाले होते हैं।
मरीजों को नहीं मिल रहे बेड
जिला अस्पताल फुल होने से मरीजों को बेड नहीं मिल रहे। जबकि 103 बेड की क्षमता वाले अस्पताल में 150 बेडों की व्यवस्था है। मरीजों को मजबूरी में कुर्सियों में बैठकर व स्ट्रेचर में लेटकर ग्लूकोज व इंजेक्शन लगवाना पड़ रहा है। वहीं मरीजों को दवाएं भी बाजार से खरीदनी पड़ती हैं। अस्पताल के अलावा चिकित्सक बाहर की दवाएं लिख रहे हैं। रोक के बावजूद स्थिति में सुधार नहीं आ रहा। इससे मरीज परेशान हो रहे हैं।
उधर ओपीडी की हालत यह है कि पर्चा काउंटर से दवा काउंटर व चिकित्सकों के कक्ष के बाहर खासी भीड़ लगी रहती है। बीमारियों से बचाव के नाम पर जिला अस्पताल के वरिष्ठ ईएमओ डा. विनीत सचान का कहना है कि खाने-पीने में विशेष सावधानी रखें। बेड व बाहर की दवाओं के लिखने के बारे में उनका कहना है कि चिकित्सक कोशिश करते हैं कि अस्पताल की दवा से ही मरीज ठीक हो लेकिन कुछ मरीज खुद कहते हैं कि बाहर की दवा लिखी जाए। जो दवा उपलब्ध नहीं होती या मरीजों के कहने पर ही बाहर की लिखी जाती हैँ। हालांकि सभी को हिदायत है कि बाहर की दवाएं न लिखी जाएं।
बचाव के उपाय
- वर्षा में भीगने से बचें, गीले होने पर कपड़े बदल लें।
- धूप में ज्यादा देर तक एक साथ खड़ न रहें।
- घरों के आसपास सफाई का विशेष ध्यान दें।
- बाजार के अधिक तैलीय खाद्य पदार्थों का सेवन ज्यादा न करें।
- दूषित पानी पीने से बचें, स्वच्छ पानी का सेवन करें।
- बासी भोजन न करें, ताजा खाना खाएं
- खाने को खुले में न रखें।
- घरों व आसपास जल भराव न होने दें।
- मच्छरों के काटने से बचाव करें।
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