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    कोचिंग संस्थानों की मनमानी: पंजीकरण सौ का… पढ़ा रहे एक हजार छात्र, फीस निर्धारण का भी कोई मानक नहीं

    Updated: Sat, 20 Sep 2025 05:28 PM (IST)

    बांदा में कोचिंग संस्थानों की मनमानी जारी है। नियमों का उल्लंघन हो रहा है और अभिभावक परेशान हैं। कई संस्थान बिना पंजीकरण के चल रहे हैं और जो पंजीकृत हैं वे भी मानकों का पालन नहीं कर रहे। फीस निर्धारण में भी मनमानी चल रही है जिससे छात्रों पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है। अधिकारियों को जांच के निर्देश दिए गए हैं लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है।

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    मंडल के कोचिंग संस्थानों की मनमानी, पंजीकरण सौ का, पढ़ा रहे एक हजार छात्र

    जागरण संवाददाता, बांदा। मंडल के सभी जिलों में इन दिनों कोचिंगों की भरमार है। सत्र के करीब छह माह बीतने को हैं लेकिन अभी तक इनकी जांच पर ध्यान नहीं दिया गया। कोचिंग संस्थानों में मानकों की अनदेखी की जा रही है।

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    कहीं पर कबूतर खाने की तरह के कमरे व हाल हैं तो कहीं पर टीन डालकर कोचिंग संचालित की जा रहीं हैं। यह संस्थान सौ छात्रों का पंजीकरण करवा कर एक हजार छात्रों को पढ़ा रहे हैं। फीस निर्धारण का भी कोई मानक नहीं है।

    एक विषय के आठ सौ से लेकर एक हजार रुपए तक प्रतिमाह फीस ले रहे हैं। ऐसे में हर माह एक छात्र से तीन हजार रुपए तक खर्च करने पड़ रहे हैं। मानकों की अनदेखी व मनमानी के चलते अभिभावक पढ़ाई के खर्च का बोझ वहन नहीं कर पा रहे हैं।

    मंडल के चारों जिलों में पंजीकृत कुल 211 पंजीकृत कोचिंग संस्थान हैं। जिसमें बांदा में 67, चित्रकूट में 46, हमीरपुर में 55 व महोबा में 43 पंजीकृत व इससे करीब चार गुना अपंजीकृत कोचिंग संस्थान संचालित हैं। बिना पंजीकरण के चल रहीं कोचिंगों का तो भगवान ही मालिक है।

    इन पर तो जिम्मेदारों की छत्रछाया है, लेकिन जिन कोचिंग संस्थानों ने अपना पंजीकरण करवा रखा है वह भी मानकों की अनदेखी कर रहे हैं।

    शासन की ओर से कोचिंग संस्थानों के लिए गाइड लाइन जारी की गई है, इसके तहत कोचिंग में विद्यार्थियों के आने-जाने के रास्ते अलग-अलग होने, आग से बचाव के इंतजाम, आकस्मिक रास्ता, प्रत्येक विद्यार्थी के लिए न्यूनतम एक वर्ग मीटर का स्थान, इसके साथ ही कोचिंग में 16 वर्ष आयु वर्ग से कम के बच्चों का प्रवेश न लिए जाने के मानक तय हैं।

    साथ ही कोचिंग संस्थानों को शिक्षक योग्यता, पाठ्यक्रम, अवधि, छात्रावास सुविधाओं व शुल्क संबंधी जानकारी वेबसाइट पर भी देनी होगी, लेकिन शासन के मानकों पर कोई कोचिंग संस्थान खरा नहीं उतर रहीं हैं, जिसको लेकर प्रशासन भी आंख बंद किए है।

    कोचिंग संस्थानों में मानकाें को दरकिनार किया गया है। इनमें कहीं टीन शेड डाल कर पढ़ा रहा है तो कोई बंद कमरे में बच्चों को अध्ययन करवा रहा है। कई कोचिंग संस्थान तो कबूतर खाने की तरह बने भवनों में संचालित हो रहे हैं, जिनमें न तो प्रकाश की व्यवस्था है और न ही निकलने का कोई दूसरा रास्ता है। 20 छात्र के बैठने के हाल में सौ से अधिक छात्रों को एक साथ बैठाया जा रहा है।

    पंजीकरण में खेल, सौ के स्थान पर पढ़ा रहे एक हजार छात्र, फीस में भी मनमानी

    मंडल में संचालित पंजीकृत कोचिंग संस्थानों में भी खेल किया जा रहा है। इन कोचिंग संस्थानों के संचालकों ने डीआइओएस कार्यालय में सौ छात्रों का पंजीयन करवा रखा है, लेकिन वह 80 से 100 छात्रों के प्रत्येक बैच के हिसाब से दिन भर में कम से कम एक से डेढ़ हजार छात्रों को पढ़ा रहे हैं।

    यदि इनकी जांच करने अधिकारी जाते भी है तो वह मात्र उसी बैच को देखते हैं। जाे चल रहा होता है, अन्य बैच उनके जाने के बाद दिन भर चलते हैं। उसकी जांच के लिए कोई सीसीटीवी आदि नहीं लगे हुए हैं।

    वहीं, कोचिंग संस्थान संचालकों ने फीस का कोई निर्धारण नहीं किया है। मनमुताबिक फीस वसूल रहे हैं। एक विषय के 800 से लेकर एक हजार रुपए तक प्रत्येक छात्र से लिया जा रहा है।

    ऐसे में यदि एक छात्र को भौतिक, रसायन व जीव विज्ञान और अंग्रेजी की कोचिंग करनी है तो एक छात्र को ढाई से तीन हजार रुपये प्रति माह अदा करने पड़ रहे हैं।

    सभी जिलों की कोचिंग संस्थानों के पंजीयन के साथ-साथ मानकों की जांच करने के निर्देश दिए गए है। कोचिंग संस्थानों की आकस्मिक जांच कर मानक की अनदेखी करने पर कार्रवाई करने के सख्त निर्देश है।

    -राजू राणा, संयुक्त शिक्षा निदेशक, माध्यमिक शिक्षा