UP News: चित्रकूट धाम मंडल में दुष्कर्म व पॉक्सो की घटनाओं को लेकर टॉप पर बांदा जनपद
उत्तर प्रदेश के चित्रकूट धाम मंडल में बांदा जनपद दुष्कर्म और पॉक्सो की घटनाओं में सबसे आगे है। पुलिस की कोशिशों के बावजूद इन अपराधों पर रोक नहीं लग पा रही है। मंडल में पॉक्सो के 157 मामलों में से 61 बांदा में दर्ज हुए हैं। नारी सुरक्षा अभियान के बावजूद महिलाएं असुरक्षित हैं। अधिकारियों को आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
जागरण संवाददाता, बांदा। दुष्कर्म व पॉक्सो की घटनाओं में पुलिस चाहकर भी अभी पूरी तरह रोक नहीं लग पा रही है। एक घटना का शोर थम नहीं पाता है। दूसरी घटना सुनने को मिलती है। इसमें आरोपित नाबालिगों को भी नहीं छोड़ रहे हैं।
मासूम बच्चियां भी इसका शिकार हो रही हैं। बानगी के तौर पर चिल्ला थाना के एक गांव में भी दरिंदगी की शिकार बच्ची की बुधवार को मौत हो चुकी है। मंडल में पांच माह के अंदर पॉक्सो के 157 मामले दर्ज किए हैं, जिसमें अकेले बांदा के 61 मामले शामिल हैं।
दुष्कर्म व पॉक्सो की घटनाओं को लेकर अन्य जनपदों की अपेक्षा बांदा जनपद टॉप पर चल रहा है, जो कि अपने आप में बड़ी चिंता का विषय है। पुलिस की ओर से चलाई जा रही नारी सशक्तिकरण व सुरक्षा की मुहिम भी कोई खास कार गुजारी नहीं कर पा रही है।
शासन के कड़े निर्देशों के बाद भी महिलाएं व नाबालिग छली जा रही हैं। हवस में अंधे दरिंदे मौका मिलते ही इन्हें दुष्कर्म व छेड़खानी आदि के शिकार बना रहे हैं।
मंडल के चारों जनपदों में यदि पॉक्सो की घटनाओं पर नजर डली जाए तो इस वर्ष बीते पांच माह जनवरी से मई तक में बांदा जिला जहां पहले नंबर पर है वहीं महोबा में भी इस तरह की घटनाएं कम नहीं हुईं। वहां ऐसे 40 मामले दर्ज किए गए हैं।
इसमें बांदा जिले में तो हर माह करीब 31 घटनाएं हो रही हैं। जिसमें औसतन प्रतिदिन एक से ज्यादा घटनाएं हो रही हैं। इसी तरह दुष्कर्म की घटनाओं को लेकर मंडल के बांदा, चित्रकूट, हमीरपुर व महोबा में अपराधियों का बोलबाला रहा है।
इस वर्ष चंद माह में चारों जिलों में 29 दुष्कर्म के मामले दर्ज कराए गए हैं। जिसमें प्रतिमाह पांच महिलाओं से ज्यादा की आबरू लूटी गई। अकेले बांदा में प्रतिमाह दो पीड़ितों की दर्द भरी कहानी सुनाई पड़ी है।
हालांकि, घटनाओं के होने के बाद जब पीड़िताओं की ओर से शिकायत की गई तो पुलिस बाद में सक्रिय हुई है। जिसमें मुकदमा दर्ज कर आरोपितों को जेल भेजा गया है। लेकिन अपराध की पृष्ठ भूमि तैयार होते समय जागरूकता व सुरक्षा का अभाव ही नजर आया। जिसमें पीड़िताओं की समय पर कोई मदद नहीं हो सकी है।
करीबी व रिश्तेदारों के घटनाएं करने में पुलिस को पहले से पता नहीं चल पाता है। यदि कोई अपराधी होता है तो पुलिस उसका समय-समय पर सत्यापन करने के साथ पूरी तरह नजर बनाकर रखती है। रही बात बांदा जिले में घटनाओं के होने का तो इसके पीछे जनसंख्या का असर पड़ता है। बांदा जिले की जनसंख्या अधिक होने से घटनाएं ज्यादा प्रकाश में आती हैं। सभी थानाध्यक्षों व संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि कोई भी घटना के होने पर आरोपित के विरुद्ध त्वरित कड़ी कार्रवाई की जाए।
-पलाश बंसल, प्रभारी डीआइजी, चित्रकूट धाम परिक्षेत्र
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