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    खनिज परिवहन शुल्क के नाम पर 6.21 करोड़ का गबन, बांदा जिला पंचायत अध्यक्ष यूं करते थे हेराफेरी, दोषी

    By vimal pandey Edited By: Anurag Shukla1
    Updated: Mon, 07 Jul 2025 02:17 PM (IST)

    बांदा में खनिज परिवहन शुल्क वसूली में बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। इस मामले की जांच में जिला पंचायत अध्यक्ष को दोषी पाया गया है। उन्होंने 6.21 करोड़ का गबन किया। इस मामले की जांच रिपोर्ट महोबा की डीएम गजल ने कमिश्नर अजीत कुमार को सौंप दी है। अब शासन को भी रिपोर्ट दे दी गई।

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    बांदा जिला पंचायत अध्यक्ष सुनील पटेल l जागरण आर्काइव

    विमल पांडेय, जागरण, बांदा। जिला पंचायत की ओर से खनिज परिवहन शुल्क के नाम पर 6.21 करोड़ रुपये के गबन का मामला सामने आया है। मामला 2022-23 का है। मंडलायुक्त अजीत कुमार के निर्देश पर डीएम महोबा गजल भारद्वाज द्वारा कराई गई जांच में गड़बड़ी के लिए जिला पंचायत अध्यक्ष को उत्तरदायी माना गया है। मंडलायुक्त ने इसकी पुष्टि की है और रिपोर्ट शासन को भेजने की बात कही है।

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    माना जा रहा है कि जल्द ही इसमें कार्रवाई हो सकती है। कई और वित्तीय अनियमितताएं सामने आ चुकी हैं, जिनमें अपर मुख्य अधिकारी, वित्तीय परामर्शदाता, कार्य अधिकारी दोषी मिले थे। इन पर तबादला और निलंबन की कार्रवाई हो चुकी है। जिला पंचायत अध्यक्ष सुनील पटेल ने कहा है कि वह निर्दोष हैं और उन्हें साजिशन फंसाया जा रहा है।

    पिछले वर्ष 26 अक्टूबर को जिला पंचायत सदस्य सुजाता राजपूत, नीरज प्रजापति, अरुण पटेल ने तत्कालीन मंडलायुक्त बालकृष्ण त्रिपाठी से गड़बड़ियों की शिकायत की थी। इसमें बताया गया था कि जिला पंचायत की ओर से वर्ष 2021-22 के लिए खनिज परिवहन करने वालों ट्रकों से वसूली के लिए 8.21 करोड़ का टेंडर किया गया था। जबकि शुल्क 200 की जगह 400 रुपये कर दिया गया था। जबकि 2022-23 में टेंडर 2.7 करोड़ रुपये में ही टेंडर जारी कर दिया गया। इसमें 6.21 करोड़ रुपये की गड़बड़ी कर रकम का गबन कर लिया गया।

    मंडलायुक्त ने तीन सदस्यीय कमेटी बनाकर जांच कराई। जांच टीम ने जिला पंचायत अध्यक्ष सुनील पटेल, अपर मुख्य अधिकारी सत्येंद्र सिंह, वित्तीय परामर्शदाता पंचानन वर्मा, कार्य अधिकारी कमल प्रताप को दोषी मानते हुए रिपोर्ट मंडलायुक्त को सौंपी थी। प्रकरण में अपर मुख्य अधिकारी सत्येंद्र सिंह और वित्तीय परामर्शदाता का तबादला दूसरे जिले कर दिया गया था। तीन माह पहले कार्य अधिकारी कमल प्रताप को निलंबित कर दिया गया था।

    पंचायत नियमावली के अनुसार जिला पंचायत अध्यक्ष के विरुद्ध कार्रवाई के लिए कम से कम डीएम स्तर की जांच अनिवार्य है, इसलिए मार्च में बांदा डीएम को जांच सौंपी गई। नए मंडलायुक्त अजीत कुमार ने 18 मई को इसकी जांच डीएम महोबा गजल से कराने का निर्णय किया। जांच पूरी हो चुकी है और जिला पंचायत अध्यक्ष को फिर दोषी माना गया है। महोबा की डीएम ने बताया कि रिपोर्ट मंडलायुक्त को भेज दी है। मंडलायुक्त अजीत कुमार ने बताया कि कार्रवाई शासन स्तर से होनी है।