बांदा जिला पंचायत में 18 करोड़ के टेंडरों में मंडलायुक्त ने बैठाई जांच, निरस्त होने की संभावना
बांदा जिला पंचायत में एक साल से जारी विवाद के चलते 100 करोड़ से ज्यादा के विकास कार्य अटके हैं। हाल ही में 18 करोड़ के टेंडरों पर अनियमितता के आरोप लगे हैं जिसकी शिकायत शासन तक पहुंची है। मंडलायुक्त ने डीएम को जांच के आदेश दिए हैं जिससे टेंडर निरस्त होने की आशंका है। विवाद के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्य बाधित हैं।

जागरण संवाददाता, बांदा। एक साल से अधिक समय बीतने के बाद भी जिला पंचायत में विवाद थम नहीं रहे हैं। लगातार कई महीने से अलग- अलग जांचों के कारण सौ करोड़ से अधिक के विकास कार्य लंबित पड़े हैं।
इस बीच विकास कार्यों के नाम पर हाल ही में कराए गए 18 करोड़ के टेंडरों में भी आफत आ गई है। जिला पंचायत अध्यक्ष सुनील पटेल द्वारा कराए गए ई टेंडरों के विरुद्ध जिला पंचायत का एक गुट शासन स्तर तक फिर से शिकायतें कर रहा है। कराए गए ई टेंडरों को चुनौती दी गई है।
इन चुनौतियों में सबसे अहम बात है कि जिला पंचायत नियमावली के अनुसार अनियमितता में दोषी पाए जाने वाले अध्यक्ष को वित्तीय कार्यों के संपादन की अनुमति नहीं है। इन्हीं नियमों को आधार मानते हुए बागी जिला पंचायत सदस्यों ने प्रकरण में मंडलायुक्त अजीत कुमार से शिकायत की है।
मामले में मंडलायुक्त ने ई टेंडरों की जांच करने के लिए डीएम बांदा जे रीभा को आदेश दिए हैं। फिलहाल मामले में तीन सदस्यीय टीम गठित की गई है। माना जा रहा है कि यह टेंडर फिर से निरस्त हो जाएंगे।
जिले में एक साल से एक भी टेंडर नहीं हो पा रहे हैं। हालात हैं कि ग्राम पंचायतों में होने वाले सड़क नाली खरंजा जैसे कार्य भी लंबित पड़े हैं। इस विवाद में सबसे ज्यादा नुकसान आम जनता को हो रहा है। जिला पंचायत सदस्यों में कई फाड़ हो चुके हैं।
जिला पंचायत बांदा में एक साल से विकास कार्य लंबित हैं। जिला पंचायत में 45 करोड़ की सौ से ज्यादा ग्रामीण सड़कों का टेंडर आज तक नहीं हो सका है। बबेरू और नरैनी क्षेत्रों में सड़कों के कई बड़े प्रोजेक्ट लंबित हैं। इन परियोजनाओं को पूरा करने के लिए टेंडर आदि की प्रक्रिया लंबित है।
इसी प्रकार ग्राम पंचायतों में सीसी रोड़ के कई प्रस्ताव अधर में पड़े हैं। इस विवाद के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष और बोर्ड सदस्यों में खींचतान मची हुई है। 18 करोड़ के टेंडरों पर सवाल उठ चुके हैं। इस पर डीएम की जांच के बाद निर्णय होना है।
मंडलायुक्त अजीत कुमार ने बताया कि टेंडरों की जांच कराई जा रही है। उधर जिला पंचायत अध्यक्ष सुनील पटेल ने कहा कि टेंडर नियमत: किए गए हैं। यदि इस बार उन्हें अनावश्यक रूप से परेशान किया जाएगा तो वह पूरी बोर्ड के साथ धरने पर बैठेंगे।
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