व्यावसायिक वाहनों पर 'वीटीएस' का पहरा
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बलरामपुर: सड़क पर दौड़ने वाले व्यावसायिक यात्री वाहन अब परिवहन विभाग की नजर में होंगे। अधिकारी वाहन ट्रै¨कग सिस्टम (वीटीएस) के जरिए घर बैठे वाहनों के रफ्तार, लोकेशन व स्थिति की जानकारी ले सकेंगे। एक अप्रैल से शुरू हो रही इस पहल से वाहनों की चोरी पर भी लगाम लगेगी। नए वित्तीय वर्ष से विभाग बिना वीटीएस वाले वाहनों का पंजीकरण व फिटनेस प्रमाण पत्र भी जारी नहीं करेगा। सवारियां लेकर सड़क पर चलने वाले वाहनों की स्पीड पर नियंत्रण लगाना परिवहन विभाग के लिए शुरू से चुनौती रहा है। इस पर रोकथाम के लिए वाहनों में स्पीड गवर्नर तो लगवाए गए लेकिन, उसका कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा। ओवर स्पीड से होने वाली दुर्घटनाओं में कमी नहीं हुई। विभाग ने एक अप्रैल से व्यावसायिक यात्री वाहनों में (ई-रिक्शा व तिपहिया वाहनों को छोड़कर) अन्य वाहनों में ट्रै¨कग सिस्टम लगवाना अनिवार्य कर दिया है। जांच के दौरान बिना वीटीएस के वाहन मिलने पर उसका चालान कर दिया जाएगा।
1118 यात्री वाहन हैं पंजीकृत
-जिले के उपसंभागीय परिवहन विभाग में वीटीएस वाहन लगवाने की अनिवार्यता श्रेणी में आने वाले कुल 1118 व्यावसायिक यात्री वाहन पंजीकृत हैं। जिसमें 119 बसें, 260 स्कूल वाहन व 739 टैक्सियां (बोलेरो, मैजिक, बैन) पंजीकृत हैं। एक अप्रैल से इन सभी वाहनों में वीटीएस अनिवार्य कर दिया गया है।
क्या है वीटीएस
-वाहन ट्रै¨कग सिस्टम (वीटीएस) एक मशीन है जो ग्राउंड पोजिश¨नग सिस्टम (जीपीएस) की तर्ज पर कार्य करती है। इसमें वाहन की लोकेशन (स्थान), गति, गाड़ी चलने का समय से जुड़ी जानकारियां दर्ज होती रहेंगी। वाहन स्वामी व विभागीय अधिकारी इंटरनेट की मदद से कंपनी के विशेष सर्वर पर वीटीएस का कोड डालकर घर बैठे सभी जानकारियां ले सकेंगे।
ट्रांसपोर्टर पहले से कर रहे हैं प्रयोग
- जिले में ट्रकों का संचालन कराने वाले वाहन स्वामी पहले से ही इस सिस्टम का प्रयोग कर रहे हैं। ट्रक में 5500 रुपये की लागत से लगने वाली इस मशीन से उन्हें घर बैठे सभी जानकारियां मिल जाती हैं। उन्हें गाड़ी की लोकेशन, स्पीड की जानकारी मिल जाती है। इसके लिए उन्हें बार-बार चालक से पूछना नहीं पड़ता है।
वाहनों की चोरी पर भी लगेगा अंकुश
-एआरटीओ फरीदउद्दीन का कहना है कि व्यावसायिक वाहनों में एक अप्रैल से वीटीएस अनिवार्य कर दिया गया है। इसके लागू होने से वाहनों की निगरनी आसान हो जाएगी। वाहन चोरी होने पर वीटीएस कोड के जरिए पुलिस प्रशासन को इसकी तलाश करने में भी मदद मिलेगी।
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