Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यहां ब्रेन ट्यूमर का नहीं इलाज, लखनऊ की पकड़ें राह

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 07 Jun 2022 10:13 PM (IST)

    स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के नाम पर खर्च हो रहे करोड़ों लेकिन फिर भी जांच की नहीं सुविधा।

    Hero Image
    यहां ब्रेन ट्यूमर का नहीं इलाज, लखनऊ की पकड़ें राह

    श्लोक मिश्र, बलरामपुर :

    जिले में न्यूरो के मरीजों की संख्या तो दिनोंदिन बढ़ रही है। इनके इलाज की व्यवस्था नहीं है। स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं, लेकिन इलाज तो दूर जांच तक नसीब नहीं है। ऐसे में ज्यादातर न्यूरो मरीजों को वास्तविक बीमारी की जानकारी तक नहीं हो पाती है। वजह, जिले में न्यूरो फिजीशियन व सर्जन की तैनाती नहीं है। ऐसे में दिमाग में पड़ने वाली गांठ (ब्रेन ट्यूमर) के बारे में लोगों अक्सर तब जानकारी हो पाती है, जब वह लखनऊ की राह पकड़ते हैं। अस्पतालों में कभी शिविर लगाकर ब्रेन ट्यूमर के बारे में लोगों को जागरूक भी नहीं किया जाता। इससे लोग ब्रेन ट्यूमर के लक्षणों से अनजान रहकर बीमारी की गिरफ्त में आ जाते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    शरीर के हिस्से होते हैं प्रभावित :

    -मस्तिष्क शरीर का बहुत अहम अंग है। इसका सही रहना आवश्यक है। जब दिमाग में गांठ बन जाती है तो इसको ट्यूमर कहते हैं। ब्रेन के जिस हिस्से में ट्यूमर होता है, तो उस हिस्से से नियंत्रित होने वाला शरीर का भाग प्रभावित होता है। ट्यूमर से दिमाग के अलग-अलग हिस्से प्रभावित होते हैं। अगर हम यह जानना चाहें कि दिमाग के किस भाग में कितना ट्यूमर होता है तो फ्रंटल पार्ट में 26 प्रतिशत ट्यूमर होता है। पैराइटल पार्ट में 12 प्रतिशत, टेंपोरल पार्ट में 19 प्रतिशत और आक्सीपिटल में तीन प्रतिशत टयूमर होता है। इसी प्रकार से जो फ्रंटल पार्ट है, यानी कि जो सामने का हिस्सा है जिसका काम सोचने का होता है, वह ट्यूमर से सबसे ज्यादा प्रभावित होता है।

    यह हैं ब्रेन ट्यूमर के लक्षण :

    -सिर दर्द : दिमाग के किसी भी पार्ट में अगर गांठ होती है, तो सिर दर्द हो सकता है।

    -उल्टी आना- अगर किसी भी व्यक्ति के दिमाग में गांठ है, तो उसे उल्टियां भी हो सकती हैं।

    -मूड स्विग या मूड बदलना- ब्रेन ट्यूमर के कारण मूड स्विग्स भी होते हैं।

    -काग्निटिव डेकलाइन (सीखने की क्षमता कम होना)- अगर चीजें याद नहीं रहती तो, आपके दिमाग का जो पीछे का हिस्सा वह प्रभावित रहता है।

    -हियरिग प्राब्लम (सुनने में दिक्कत)- अगर सुनने में दिक्कत होती है, तो टेंपोरल पार्ट या बाईं तरफ प्रभावित है।

    -स्पीच प्राब्लम (बोलने में दिक्कत)- अगर किसी को बोलने में दिक्कत आती है, तो उसका फ्रंटल पार्ट या दिमाग के सामने का हिस्सा प्रभावित है।

    -सीजरस- इसमें दौरे भी पड़ सकते हैं। सिर्फ रीढ़ की हड्डियों का इलाज :

    -जिला संयुक्त अस्पताल में आर्थो सर्जन डा. आसिफ हुसैन का कहना है कि जिले में न्यूरों के मरीज बहुत आते हैं, लेकिन इसके लिए फिजीशियन या सर्जन न होने से उन्हें लखनऊ जाना पड़ता है। अस्पताल में रीढ़ की हड्डी (स्पाइनल काड) का आपरेशन किया जाता है।

    comedy show banner
    comedy show banner