एनआरसी बना वरदान, मासूमों की लौट रही मुस्कान
न्यूट्रीशन स्ट्रेटजी व नीति आयोग की रिपोर्ट में जिले के माथे पर कुपोषण का कलंक लग चुका है। 7311 अतिकुपोषित बचे चिह्नित किए गए हैं। अतिकुपोषित बचों को ...और पढ़ें

श्लोक मिश्र, बलरामपुर
जिला मेमोरियल अस्पताल में स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) मासूमों के चेहरे पर मुस्कान बिखेर रहा है। न्यूट्रीशन स्ट्रेटजी व नीति आयोग की रिपोर्ट में जिले के माथे पर कुपोषण का कलंक लग चुका है। 7311 अतिकुपोषित बच्चे चिह्नित किए गए हैं। अतिकुपोषित बच्चों को इलाज के लिए एनआरसी भेजा जाता है।
यहां उन्हें पूरक पोषाहार के साथ दवाएं दी जाती है। साथ ही परिवार के एक सदस्य को निश्शुल्क भोजन व प्रतिदिन 50 रुपये के हिसाब से दिया जाता है। अब तक एनआरसी में करीब 772 अतिकुपोषित बच्चों को भर्ती किया जा चुका है। इनमें से अधिकांश सेहतमंद हो चुके हैं।
इन नौनिहालों की संवरी जिदगी : ललिया निवासिनी सुमन के डेढ़ माह के बेटे मनीष को पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराया गया था। पिता राजकुमार ने बताया कि मनीष जन्म से ही कुपोषित था। डेढ़ माह का होने के बाद भी पूरे शरीर में केवल हड्डी ही दिख रही थी। सीएचसी शिवपुरा से एनआरसी ले जाने की सलाह दी गई। 14 जनवरी को भर्ती कराया। यहां इलाज के बाद उसकी सेहत सुधर गई। श्रीदत्तगंज के जमुदहिया गांव निवासिनी रेशमा बानो की दो माह की बेटी नूर फातिमा अतिकुपोषित थी। पिता मुख्तार ने बताया कि सीएचसी श्रीदत्तगंज की आरबीएसके टीम ने 13 जनवरी को एनआरसी भेजा। 15 दिन इलाज के बाद वह स्वस्थ हो गई। 28 जनवरी को उसे डिस्चार्ज कर दिया गया।
768 बच्चे हुए स्वस्थ : न्यूट्रीशन रिहेबिलिटेशन सेंटर (एनआरसी) की न्यूट्रीशनिस्ट रिकी सिंह का कहना है कि 21 अप्रैल 2015 से केंद्र संचालित है। अब तक कुपोषण के 772 बच्चे भर्ती हुए हैं। इनमें से 768 स्वस्थ होकर जा चुके हैं। वर्तमान में कुपोषण से पीड़ित चार बच्चे एनआरसी में भर्ती है, जिनका इलाज चल रहा है।
आरबीएसके का है सहयोग : चिकित्सक डॉ. अजय कुमार पांडेय का कहना है कि कुपोषण से पीड़ित बच्चों को एनआरसी पहुंचाने के लिए राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम कार्य कर रही है। साथ ही आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा व एएनएम का भी सहयोग लिया जाता है।

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