मिट्टी के दीयों की मांग को देख कुम्हारों ने शुरू की तैयारी
सादुल्लाहनगर (बलरामपुर) दीपावली पर घरों को दीये से रोशन करने के लिए कुम्हारों ने

सादुल्लाहनगर (बलरामपुर) :
दीपावली पर घरों को दीये से रोशन करने के लिए कुम्हारों ने तैयारी शुरू कर दी है। दीये बनाने से लेकर पूजन के लिए मिट्टी के विभिन्न बर्तनों को तैयार करने में चाक पर अंगुली चला रहे हैं। हाल के कुछ वर्षों में मिट्टी के दीयों के प्रति रुझान कम होने से भी वे विचलित नहीं है। सरकार ने प्लास्टिक के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा रखा है। ऐसे में मिट्टी के दीये और अन्य बर्तनों के दिन लौट रहे हैं। इससे पर्यावरण संरक्षण के साथ कुम्हारों के धंधे में तेजी आई है। कुम्हार जगराम, जगदंबा, तुलसीराम, रहमान का कहना है कि वर्षों पूर्व मिट्टी के बर्तन की मांग काफी थी। इससे घर परिवार का भरण-पोषण होता था, लेकिन हाल में मिट्टी के बर्तन की मांग कम हो गई। लोग प्लास्टिक से बनी वस्तुओं को प्राथमिकता देने लगे। प्रतिबंध होने से एक बार फिर हमारे पुश्तैनी कारोबार को गति मिली है। दीपावली का त्योहार नजदीक होने से लोगों ने अभी से मिट्टी के बर्तनों की मांग शुरू कर दी है। कलश और दीया की मांग सबसे ज्यादा है। क्या कहते हैं युवा :
अखंड प्रताप सिंह, रमेश गुप्ता, अरविद उपाध्याय, राजेश कुमार,रवि तिवारी व मनोज चौबे का कहना है कि मिट्टी के दीये जलाने के लिए लोगों को जागरूक करते हैं। स्यवं भी दीये से ही सजावट करते हैं। दीये जलाने से आती समृद्धि :
अर्जुन ओझा शास्त्री का कहना है कि शास्त्रों में मिट्टी के दीये जलाने के लिए बताया गया है। दीपावली पर दीये जलाने की परंपरा है। इसमें धन की देवी मां लक्ष्मी का वास होता है। घर में सुख समृद्धि आती है। मिट्टी के बर्तनों से पूजा अर्चना करने से देवी देवता प्रसन्न होते हैं।
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