आयुष्मान कार्ड बनवाने के नाम पर बैनामा करा ली जमीन, धोखाधड़ी के मामले में तीन गिरफ्तार
बलरामपुर में आयुष्मान कार्ड बनवाने के नाम पर जमीन का बैनामा कराने वाले तीन लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपियों ने धोखाधड़ी से जमीन अपने नाम क ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, बलरामपुर। आयुष्मान कार्ड बनवाने के नाम पर धोखाधड़ी कर गांव के ही लोगों ने एक अनपढ़ व्यक्ति की जमीन का बैनामा करा लिया। पीड़ित गैंड़ासबुजुर्ग के नंदौरी गांव निवासी शत्रोहन ने धोखाधड़ी की जानकारी होने पर थाना में रिपोर्ट दर्ज कराई।
पुलिस ने कूटरचित अभिलेखों के सहारे जमीन का फर्जी बैनामा कराने वाले नंदौरी गांव निवासी सियाराम, मुन्नूलाल व उतरौला के मझारी तप्पाबांक निवासी शब्बीर अहमद को गिरफ्तार कर लिया है। मामले में उपनिबंधक कार्यालय में हस्तक्षेप रखने वाले एक व्यक्ति की भी संलिप्तता सामने आई है, जिसकी छानबीन पुलिस कर रही है।
पुलिस अधीक्षक विकास कुमार ने बताया कि बीते 16 दिसंबर को नंदौरी गांव निवासी शत्रोहन ने गैंड़ासबुजुर्ग थाना पर प्रार्थना पत्र दिया कि वह अनपढ़ है। गांव के ही सियाराम, मुन्नूलाल व उतरौला के मझारी तप्पाबांक निवासी शब्बीर अहमद आयुष्मान कार्ड बनवाने के नाम पर उसे उतरौला स्थित उपनिबंधक कार्यालय ले गए।
वहां धोखाधड़ी से कूटरचित अभिलेख तैयार कराकर रजिस्ट्री कार्यालय के कर्मचारियों से साठगांठ कर उसकी 0.3680 हेक्टेयर जमीन का संपूर्ण बैनामा करा लिया। जब पता चला कि उसकी जमीन का बैनामा करा लिया है, तो उसके होश उड़ गए। उलाहना देेने पर उसके साथ गाली-गलौज करते हुए जान से मारने की धमकी दी।
बताया कि शत्रोहन की जमीन का दो लाख रुपये में बैनामा करा लिया था, जबकि निर्धारित सर्किल रेट 7.40 लाख रुपये है। इसका बाजार मूल्य लगभग 25 लाख रुपये है, जबकि वादी के खाते में 25 हजार रुपये भेजकर बैनामा करा लिया है।
पीड़ित की तहरीर पर थानाध्यक्ष राजीव कुमार मिश्र ने मुकदमा दर्ज कर तीनों आरोपितों को हासिमपारा स्थित शराब भट्ठी मोड़ से पहले गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तारी करने वाली टीम में उपनिरीक्षक किसलय मिश्र, शरद कुमार अवस्ती, कांस्टेबल देवाशीष मिश्र, नीरज यादव, अविनाश तिवारी, श्रीकांत शामिल रहे।
डेढ़ वर्ष पूर्व कराया था बैनामा
आरोपित सियाराम ने पूछताछ में बताया कि वह शत्रोहन को बचपन से जानता है। शत्रोहन के परिवार में कोई और नही हैं। वह अकेले अपने घर में रहता है। शत्रोहन के पास जमीन ज्यादा थी और वह कुछ वर्षों से बीमार चल रहा था।
इस पर उसने शब्बीर और मुन्नूलाल से आपस में बात करके शत्रोहन की जमीन चुपचाप बैनामा करा लेने और उसकी मृत्यु के बाद आपस में बांट लेने की योजना बनाई। इसी षड़यंत्र के तहत तीनों ने शत्रोहन को आयुष्मान कार्ड बनवाने के बहाने अपने विश्वास में लिया और छह मई 2024 को उतरौला ले आए।
यहां तीनों ने मिलकर बैनामा का कागज तैयार करा लिया और रजिस्ट्री कार्यालय के सामने बैठने वाले एक व्यक्ति को 80 हजार रुपये देकर बैनामा करा लिया।

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