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    बलरामपुर में थाना परिसर में अवैध रूप से बने मजार पर चला बुलडोजर, फर्जी बैनामा कराया था

    Updated: Mon, 01 Dec 2025 08:13 PM (IST)

    बलरामपुर के सादुल्लाहनगर थाना परिसर में बने अवैध मजार को प्रशासन ने बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया। पूर्व सपा विधायक आरिफ अनवर हाशमी ने अपने भाई को प्रबंधक बनाकर थाने की जमीन पर मजार का फर्जी बैनामा करा लिया था। न्यायालय के आदेश के बाद यह कार्रवाई की गई। मजार के मलबे को सरकारी तालाब में दफन कर दिया गया।

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    जागरण संवाददाता, बलरामपुर। सादुल्लाहनगर थाना परिसर में अवैध रूप से बनाए गए मजार पर 12 वर्ष बाद प्रशासन का बुलडोजर चल गया। वर्ष 2013 में भू-माफिया पूर्व सपा विधायक आरिफ अनवर हाशमी ने अपने भाई मारूफ अनवर हाशमी को मजार का प्रबंधक बनाकर थाना की 0.18 एकड़ जमीन पर मजार शरीफ शहीदे मिल्लत अब्दुल कुद्दूस शाह रहमतुल्लाह अलैह के नाम फर्जी बैनामा करा लिया था।

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    न्यायालय के आदेश पर सोमवार को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच प्रशासन ने मजार को जेसीबी से ढहाकर जमीन को कब्जामुक्त कराया।

    अपर पुलिस अधीक्षक विशाल पांडेय ने बताया कि सादुल्लाहनगर थाना परिसर स्थित भूमि गाटा संख्या -696 रकबा 2.16 एकड़ भूमि चकबंदी के पूर्व के अन्य अभिलेखो में थाना भूमि के नाम दर्ज है। भू-माफिया पूर्व विधायक आरिफ अनवर हाशमी ने थाने की भूमि हड़पने के उद्देश्य से अपने सगे भाई मारूफ अनवर हाशमी को तथाकथित मजार का प्रबंधक बनाकर 27 जून 2013 को 0.18 एकड़ (0.73 हेक्टेयर) भूमि को मजार के नाम दर्ज कराया लिया।

    इस स्थान पर भव्य मजार का निमार्ण कर लिया गया। 10 वर्ष बाद 29 अगस्त 2023 को तत्कालीन थानाध्यक्ष ने मुकदमा दायर किया। पुलिस की प्रभावी पैरवी पर न्यायालय उपजिलाधिकारी उतरौला ने 19 मार्च 2024 को गाटा संख्या- 696 रकबा 2.16 एकड़ भूमि सादुल्लाहनगर थाना के नाम दर्ज होने का आदेश दिया।

    थानाध्यक्ष ने 2024 में पूर्व विधायक आरिफ अनवर हाशमी व उनके भाई मारूफ अनवर हाशमी के विरुद्ध कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर मजार के नाम जमीन दर्ज कराए जाने का मुकदमा दर्ज कराया। न्यायालय के उक्त आदेश के बाद तथाकथित समिति ने आयुक्त देवीपाटन मंडल के पास वाद दायर किया था।

    बीते 28 नवंबर को दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद न्यायालय ने स्थगन आदेश निरस्त करते हुए अवर न्यायालय को पत्रावी वापस भेज दी। इस पर वर्तमान थानाध्यक्ष ने अवैध मजार को हटाए जाने के संबंध में तहसीलदार उतरौला को प्रार्थना पत्र दिया। न्यायालय तहसीलदार उतरौला ने 28 नवंबर को ही बेदखली एवं क्षतिपूर्ति का आदेश पारित किया।

    इसके अनुपालन में नियमानुसार विपक्षी को नोटिस भेजकर दो दिन का समय दिया। विपक्षीगण ने आदेश का अनुपालन नहीं किया। इस पर एक दिसंबर को बुलडोजर लगाकर मजार को ध्वस्त करते हुए संपूर्ण मलबे को सरकारी तालाब में दफन कर दिया गया।