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    बलिया में मना करने के बावजूद पहली बार अखाड़े में उतरा युवक, झटके से टूटी रीढ़ की हड्डी

    By Abhishek sharmaEdited By: Abhishek sharma
    Updated: Fri, 24 Oct 2025 02:41 PM (IST)

    बलिया में एक युवक को मना करने के बावजूद पहली बार अखाड़े में उतरने पर उसकी रीढ़ की हड्डी टूट गई। अनुभवी पहलवानों ने उसे रोका था, लेकिन वह नहीं माना। गंभीर हालत में उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहाँ उसका इलाज चल रहा है। इस घटना ने अखाड़ों में सुरक्षा के महत्व को दर्शाया है।

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    गंभीर हालत को देखते हुए बलिया और फिर वाराणसी (बीएचयू) रेफर कर दिया। 

    जागरण संवाददाता, बलिया। दोकटी क्षेत्र के ग्राम पंचायत शिवपुर कपूरदियर में आयोजित कुश्ती प्रतियोगिता के मैदान में एक युवक पहली बार दांवपेच आजमाने के लिए उतरा लेकिन वह गंभीर रूप से घायल हो गया। घायल युवक को पहले सोनबरसा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां से चिकित्सकों ने उसकी गंभीर हालत को देखते हुए बलिया और फिर वाराणसी (बीएचयू) रेफर कर दिया। युवक की रीढ़ की हड्डी टूट गई है। घटना बुधवार शाम की है।

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    शिवपुर निवासी नीरज यादव (19 वर्ष) गोवर्धन पूजा के दिन गांव के अन्य युवकों के साथ कुश्ती देखने शिवपुर कपूर दियर गया था। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी वहां कुश्ती व दंगल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। बताया जा रहा है कि नीरज ने स्वयं कुश्ती में भाग लेने की इच्छा जताई, लेकिन आयोजकों और कुछ लोगों ने उसे मना किया। इसके बावजूद वह अखाड़े में उतर गया और कुश्ती के दौरान गंभीर रूप से घायल हो गया।

    स्थानीय लोगों ने तत्काल उसके स्वजन को सूचना दी और घायल युवक को सोनबरसा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया। वहां प्राथमिक उपचार के बाद चिकित्सकों ने उसे बलिया और फिर बीएचयू, वाराणसी के लिए रेफर कर दिया। नीरज के पिता का नाम विष्णु देव यादव के मुताबिक बेटे का बीएचयू में उपचार चल रहा है। उसकी स्थिति अभी भी गंभीर बनी हुई है।

    दो वर्ष से आरपीएफ में भर्ती होने के लिए तैयारी कर रहा था नीरज
    नीरज के पिता विष्णु देव यादव दुर्गापुर में वाहन चलाते हैं। नीरज के दो भाई सुरज यादव व आकाश यादव बाहर प्राइवेट नौकरी करते हैं। दूसरे नंबर का नीरज भी अपने माता-पिता के साथ पहले दुर्गापुर में ही रहता था। दो वर्ष से वह गांव में रह रहा है।

    पिछले वर्ष इंटर की परीक्षा पास की। इसके बाद आरपीएफ की परीक्षा की तैयारी में जुटा था। स्वजन के अनुसार उसकी किस्मत खराब थी कि वह बिना सोचे-समझे अखाड़े में उतर गया। अब स्वजन को डर सताने लगा है कि यदि पहले की तरह नीरज स्वस्थ नहीं हुआ तो आरपीएफ का सपना उसका अधूरा रह जाएगा।