UP News: फर्श पर प्रसव होने के मामले में प्रशासन की बड़ी कार्रवाई, साेनबरसा से हटाए गए अधीक्षक सहित चार स्वास्थ्यकर्मी
बलिया के सीएचसी सोनबरसा में प्रसव पीड़ा से तड़पती महिला को इलाज न मिलने पर फर्श पर बच्चे को जन्म देना पड़ा। इस घटना के बाद चिकित्सा अधीक्षक समेत चार कर्मचारियों को हटा दिया गया है। सीएमओ ने विभागीय जांच के लिए टीम गठित की है और लापरवाही पाए जाने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है। संयुक्त चिकित्सालय के चिकित्साधिकारी अब गड़वार स्वास्थ्य केंद्र में सेवाएं देंगे।

संवाद सूत्र, जागरण बैरिया(बलिया)। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सोनबरसा में दर्द से तड़प रही गर्भवती को इलाज नहीं मिलने पर फर्श पर बच्चे का जन्म दे दिया था। इस मामले में चिकित्सा अधीक्षक डा. राजेश सरोज, 100 शैय्या संयुक्त चिकित्सालय के चिकित्साधिकारी डा. ब्यास कुमार, स्टाफ नर्स प्रियंका सिंह व कंचन सिंह को हटा दिया गया है। साथ ही विभागीय जांच के लिए टीम गठित कर दी गई है। जांच रिपोर्ट आने तक संयुक्त चिकित्सालय के चिकित्साधिकारी गड़वार स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सकीय कार्य करेंगे।
लक्ष्मण छपरा गांव निवासी सविता पटेल प्रसव वेदना से पीड़ित होकर सीएचसी सोनबरसा पहुंची थी। रात में यहां पर ड्यूटी पर कोई चिकित्साकर्मी या चिकित्सक मौजूद नहीं थे। गर्भवती का प्रसव अस्पताल के गेट पर ही फर्श पर हो गया था।
इसका वीडियो इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित हो गया। इसको लेकर भाजपा के पूर्व सांसद भरत सिंह की पुत्री विजयलक्ष्मी सिंह दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर धरना पर बैठ गईं। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने एवं हटाने की मांग करने लगीं।
मामले की जांच अधिकारी अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डा.विजय कुमार यादव सोनबरसा सीएचसी परिसर में शुक्रवार को पहुंच गए। प्रारंभिक जांच के बाद सीएमओ ने दोषी चिकित्सकों को हटा दिया।
बताया कि टीम गठित कर दी गई है। रिपोर्ट आने के बाद सख्त कर्रवाई की जाएगी। सीएमओ ने बताया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सोनबरसा का कार्य चिकित्साधिकारी डा. देवनीति सिंह देखेंगे।
शाम ढलते ही अस्पताल से गायब हो जाते हैं चिकित्सक
शाम ढलते ही अस्पताल से चिकित्सक एवं स्वास्थ्य कर्मी गायब हो जाते हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सोनबरसा में फर्श पर प्रसव होने की घटना ने स्वास्थ्य विभाग की पोल खोल दी है। इमरजेंसी में ड्यूटी तो लगा दी जाती है लेकिन वह शाम होते ही अस्पताल से गायब हो जाते हैं। मरीज आने पर जब जरूरत पड़ती है तब हो बुलाने पर आते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की हालत यही है।
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