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    पूर्वांचल में बरसात ने धो दी मटर की बेहतर उपज की आस, क‍िसानों ने बताई दुश्‍वारी

    By Abhishek sharmaEdited By: Abhishek sharma
    Updated: Thu, 30 Oct 2025 01:42 PM (IST)

    पूर्वांचल में लगातार बारिश से खरीफ की फसलें प्रभावित हुई हैं। बेमौसम बारिश ने किसानों को संकट में डाल दिया है, जिससे मक्का, अरहर और सब्जियां पहले ही बर्बाद हो चुकी हैं। अब मटर की खेती भी खतरे में है, खेतों में 'सपटा' लगने की आशंका है। किसानों को दोबारा बुआई करनी पड़ेगी, जिससे अगेती खेती नहीं हो पाएगी। किसान बेबस हैं और उन्हें सरकार से मदद की उम्मीद है।

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    भारी बरसात ने खरीफ की फसल को बुरी तरह प्रभावित किया है। 

    जागरण संवाददाता, बैरिया (बलिया)। पूर्वांचल में लगातार रह रहकर हो रही भारी बरसात ने खरीफ की फसल को बुरी तरह प्रभावित किया है। मंगलवार की रात से हो रही बेमौसम की बारिश ने किसानों को एक बार फिर से संकट में डाल दिया है।

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    पहले की बारिश में मक्का, अरहर और सब्जियों की फसलें बर्बाद हो चुकी थीं और अब छीमी यानी मटर की खेती भी खतरे में है। इस बारिश के कारण खेतों में 'सपटा' लगने की आशंका है, जिससे मटर के पौधे जमीन से ऊपर नहीं आ पाएंगे।

    शिवाल मठिया के निवासी मनोज साहनी ने बताया कि उनके उपरवार के खेतों में मटर की फसल बोई गई थी, लेकिन इस बारिश ने उसे पूरी तरह बर्बाद कर दिया है। मटर के बीज अब जम नहीं पाएंगे।

    बैरिया के चंद्रभान यादव ने कहा कि इस वर्ष मटर के बीज की कीमत कम होने के कारण उन्होंने मटर की खेती का रकबा बढ़ाया था, लेकिन अब बारिश ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया है। सूखने पर उन्हें दुबारा बुआई करनी पड़ेगी, जिससे छेमी की अगेती खेती नहीं हो पाएगी।

    दोकटी दियारे में मटर की खेती करने वाले पदुम प्रसाद गुप्ता ने बताया कि पिछले साल मटर की खेती से लाभ देखकर उन्होंने इस साल भी मटर बोया था, लेकिन बेमौसम की बारिश ने उनकी फसल को नष्ट कर दिया। धतुरी टोला के विकास सिंह ने कहा कि जिन खेतों में बारिश का पानी नहीं भरा था, वहां भी मटर की खेती की गई थी।

    धातुरी टोला, दोकटी, बाजिदपुर, रामपुर, दलनछपरा, श्रीपतिपुर, कर्णछपरा, डोमन टोला और प्रीतम छपरा सहित दर्जनों गांवों के किसानों ने सैकड़ों एकड़ में मटर की खेती की थी, लेकिन बारिश ने उनकी मेहनत को बर्बाद कर दिया।

    इस स्थिति में किसान बेबस और लाचार हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि अब क्या करें। बेमौसम की बारिश ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है, और अब उन्हें अपने भविष्य की चिंता सता रही है। किसानों की यह दुर्दशा सरकार और प्रशासन के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है, जिसे तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता है।