बलिया में प्राथमिक विद्यालय के दो छात्र करंट की चपेट में, एक की हालत गंभीर
बलिया के एक प्राथमिक विद्यालय में मध्यावकाश के दौरान दो बच्चे करंट की चपेट में आ गए। खेलते समय जर्जर विद्युत पोल से लटक रहे तार के संपर्क में आने से यह हादसा हुआ। एक बच्चे की हालत गंभीर होने पर उसे मऊ रेफर किया गया। ग्रामीणों ने विद्युत विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाया है और सुरक्षा उपायों की मांग की है।

जागरण संवाददाता, हल्दीरामपुर (बलिया)। थाना क्षेत्र उभांव के अंतर्गत बेल्थरारोड के वार्ड नम्बर 9 इमिलिया स्थित प्राथमिक विद्यालय में शुक्रवार को मध्यावकाश के दौरान खेलते समय दो बच्चे करंट की चपेट में आ गए।
इस घटना के बाद विद्यालय स्टाफ और वहां उपस्थित लोगों में अफरा-तफरी मच गई। दोनों बच्चों को किसी तरह छुड़ाकर सीएचसी सीयर पहुंचाया गया, जहां चिकित्सकों ने एक बच्चे की गंभीर स्थिति को देखते हुए उसे मऊ जिला अस्पताल रेफर कर दिया।
दोपहर में विद्यालय के मध्यावकाश के बाद कक्षा चार का छात्र दीपांशु, पुत्र देवेन्द्र राजभर और विवेक, पुत्र विजेंद्र राजभर विद्यालय के सामने खेल रहे थे। इसी दौरान दोनों बच्चे वहां लगे एक जर्जर विद्युत पोल से लटक रहे तार के संपर्क में आ गए और करंट लगने से झुलस गए। बच्चों के शोर मचाने पर प्रधानाध्यापिका सुमन सिंह और शिक्षक मौके पर पहुंचे, लेकिन बच्चों को छुड़ाने में असफल रहे।
शोर सुनकर ग्रामीण मौके पर पहुंचे और बड़ी मशक्कत के बाद दोनों बच्चों को हाइटेंशन तार से अलग किया। इसके बाद उन्हें सीएचसी सीयर पहुंचाया गया, जहां डाक्टर ने प्राथमिक उपचार के बाद विवेक की स्थिति को गंभीर देखते हुए उसे जिला अस्पताल मऊ के लिए रेफर कर दिया।
खंड शिक्षा अधिकारी सुनील कुमार चौबे ने बताया कि विद्यालय के समीप लगे पोल पर कुछ ग्रामीणों ने निजी कनेक्शन के तार जोड़ रखे थे। इसी कारण तार में करंट प्रवाहित हो गया और यह हादसा हुआ। वार्ड 9 के सभासद मोहम्मद नैय्यर ने आरोप लगाया कि वर्ष 2023 से विद्युत विभाग को कई बार शिकायत दी गई थी, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय रहते उस जर्जर पोल को हटा दिया गया होता, तो मासूमों की जान खतरे में नहीं पड़ती।
इस घटना ने विद्यालय के आसपास के क्षेत्र में सुरक्षा के प्रति गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय निवासियों ने विद्युत विभाग से मांग की है कि ऐसे जर्जर पोलों को तुरंत हटाया जाए और सुरक्षा उपायों को सख्ती से लागू किया जाए।
बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके। इस घटना ने सभी को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि बच्चों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
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