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    पेड़ों के चबूतरे बन रहे जल संचय में बाधक

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 22 May 2018 09:51 PM (IST)

    जागरण संवाददाता, बलिया: पानी के लिए माटी, वृक्ष, वन एवं पर्यावरण की सुरक्षा एवं संरक्षण काफी

    पेड़ों के चबूतरे बन रहे जल संचय में बाधक

    जागरण संवाददाता, बलिया: पानी के लिए माटी, वृक्ष, वन एवं पर्यावरण की सुरक्षा एवं संरक्षण काफी जरूरी है। हमें वन, वन्य-जीव संरक्षण के प्रति तथा जल-संरक्षण हेतु सचेत हो जाना चाहिए अन्यथा वह दिन दूर नहीं जब स्थिति भयावह हो जाएगी। तब तक काफी देर हो चुकी होगी। भारत गांवों का देश है और गांवों में अक्सर सार्वजनिक रूप से भी पेड़ों के जड़ को घेर कर चबूतरा बना देते हैं। जिसके छांव में गांव के लोग उसी चबूतरा पर बैठकी लगाकर आराम करते हैं ¨कतु उन्हें यह नहीं पता कि वह चबूतरा उस पेड़ की आयु को कम कर रहा है। वजह कि वर्षा जल उसके जड़ तक नहीं पहुंच पाता जिससे जल संचयन भी नहीं हो पाता और उस पेड़ की आयु भी कम होने लगती है। एक दशक पूर्व तक गांवों में बाग-बगीचों, कुओं, तालाबों, भरे पड़े थे। आज पानी की समस्या भयंकर रूप धारण करती जा रही है ऐसी परिस्थितियों में मानव सोचने के लिए मजबूर हो गया है। आजादी के इतने दिनों बाद भी स्थिति जस की तस ही है। अब समय आ गया है कि इस तरह की समस्याओं से निजात पाने के लिए अहम एवं ठोस कदम सार्वजनिक रूप से उठाए जाएं। धरती के जलस्त्रोतों के सूखने के मुख्य कारण मिट्टी का दुरुपयोग है क्योंकि माटी, पानी और वनों-वृक्षों को अलग करके नहीं आंका जा सकता। इससे वर्षा होती है तथा मृदा संरक्षण से जल का अधिकतम बचाव संभव है। वर्षा के जल को संरक्षित करके तथा उचित दिशा प्रदान कर हम पानी की समस्या से निजात पा सकते हैं। दो तरह से लोग बनाते हैं पेड़ों का चबूतरा

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    गांव से लगायत नगर क्षेत्र तक पेड़ों के जड़ में चबूतरा लोग दो तरह से बनाते हैं। एक तो जड़ के पास तक सीमेंट और गिट्टी से ढलाई कर देते हैं और दूसरा चबूतरा बनाते समय जड़ के पास गोल आकार में खाली स्थान छोड़ लोग बाकी के हिस्से की ढ़लाई कर देते हैं। इससे बारिश का पानी नीचे नहीं जाता है। इससे भू-गर्भ का जल स्त्रोत बाधित हो रहा है। पहले गर्मी के मौसम में बाग बगीचों में मेड़बंदी की जाती थी। इससे बगीचे में पानी रहता था जिससे पेड़ों में फलों का लगना व उनकी हरियाली कायम रहती थी। गांवों व शहरों में जो पुराने पेड़ बचे हैं उनकी तना तक चबूतरा बना दिया गया है। इससे बारिश का पानी उसके जड़ तक नहीं पहुंच पाता है। बारिश का जल चबूतरे के माध्यम से सीधे बह जाता है।

    जेपी यादव, जिला कृषि अधिकारी।

    हर दृष्टिकोण से नुकसानदायक है पेड़ों का चबूतरा पुराने पेड़ों के जड़ को घेर चबूतरा बनाने का काम गांव और सरकारी स्तर से भी कर दिया जाता है। इसके पीछे गांव के लोगों का तर्क होता होता है कि जो पुराने पेड़ हैं उनका जड़ चबूतरा से जब बांध दिया जाता है तो वह पेड़ मजबूत हो जाता है। तेज आंधी में भी वह पेड़ जड़ से नहीं नहीं उखड़ पाता। जबकि यह साधारण बात हर कोई समझ सकता है कि जब किसी पेड़ के जड़ में ही पानी नहीं जाएगा तो वह पेड़ कैसे लंबे समय तक जीवित रहेगा। जल स्तर के हालात यह हैं कि अत्यधिक जल दोहन के कारण पानी पाताल की ओर तेजी से भाग रहा है। पुराने पेड़ों के जड़ भी उतने नीचे तक रहते हैं जितना ऊपर तना होता है। ऐसे में जब तक नीचे से नमी मिलेगी तब तक ही वह मजबूती से खड़ा रह पाएगा। नमी मिलना जैसे ही बंद होगा वह पेड़ भी सुखने लगते है।

    एनके ¨सह, प्रभागीय वनाधिकारी।