बलिया में एक ही मजदूर की मनरेगा में फोटो को बार-बार अपलोड कर 6.40 लाख रुपये का भुगतान
बलिया में मनरेगा योजना के तहत एक बड़े फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हुआ है, जिसमें एक ही मजदूर की फोटो बार-बार अपलोड करके लगभग 6.40 लाख रुपये का भुगतान किया ...और पढ़ें

सीडीओ ने जांच के आदेश दिए हैं और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही है।
जागरण संवाददाता, बलिया। विकास खंड पंदह क्षेत्र की विभिन्न ग्राम पंचायतों में मनरेगा योजना के तहत बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े का गंभीर मामला उजागर हुआ है। आरोप है कि एक ही मजदूर की फोटो को बार-बार अपलोड कर हाजिरी दर्शाई गई और बिना किसी काम के लगभग 6.40 लाख रुपये का भुगतान किया गया। ग्राम सरनी के निवासी धर्मेन्द्र कुमार सिंह ने इस संदर्भ में मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) बलिया को पत्र लिखकर निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की है।
धर्मेन्द्र कुमार सिंह ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि मनरेगा योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार प्रदान करना है, लेकिन इस प्रकार के फर्जीवाड़े से न केवल सरकारी धन की बर्बादी हो रही है, बल्कि योजना की विश्वसनीयता भी प्रभावित हो रही है। उन्होंने कहा कि इस मामले में संबंधित अधिकारियों की लापरवाही भी सामने आ रही है, जो इस प्रकार के धोखाधड़ी को रोकने में असफल रहे हैं।
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए, सीडीओ ने जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा कि यदि आरोप सही पाए जाते हैं, तो दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस प्रकार के मामलों में आमतौर पर संबंधित ग्राम पंचायतों के सचिव और रोजगार सहायक शामिल होते हैं, जो फर्जी दस्तावेज तैयार कर सरकारी धन का दुरुपयोग करते हैं।
धर्मेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि उन्होंने इस मामले की जानकारी स्थानीय प्रशासन को पहले ही दी थी, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा कि यदि जल्द ही कार्रवाई नहीं की गई, तो वह उच्च अधिकारियों से भी शिकायत करेंगे।
मनरेगा योजना के तहत काम करने वाले मजदूरों को उनके काम के अनुसार भुगतान किया जाना चाहिए, लेकिन इस प्रकार के फर्जीवाड़े से वास्तविक मजदूरों को नुकसान हो रहा है। इस मामले ने ग्रामीणों में आक्रोश पैदा कर दिया है और वे न्याय की उम्मीद कर रहे हैं। इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की आवश्यकता है, ताकि ऐसे फर्जीवाड़े को रोका जा सके और वास्तविक लाभार्थियों को उनका हक मिल सके।

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