मशीनी युग में यहां जीवंत दिखती है पारंपरिक सिल-लोढ़ा की नक्काशी
बलिया ---- जनपद के महाविद्यालय से निकले एमपी व एमएलए का इनपुट ----------------------------------------------- सतीश चंद्र डिग्री कालेज -पूर्व प्रधानमंत ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, बिल्थरारोड (बलिया) : आस्था व परंपरा के अतिप्राचीन विख्यात सोनाडीह मेला में दुकानदारों के पहुंचने का क्रम तेजी से जारी है। करीब एक माह तक चलने वाले मेले में चैत्र नवरात्र से पूर्णिमा तक विशेष भीड़ होती है। इस बार विशेष बिक्री की उम्मीद के साथ पत्थर की नक्काशी करने वाले कामगार (कारीगर) पहुंच गए हैं और मिर्जापुर से विशेष पत्थर की खेप भी पहुंचने लगी है।
कारीगर पत्थर पर छेनी व हथौड़ा से नक्काशी कर सिल-लोढ़ा, जाता (चक्की) व चाकी आदि का निर्माण करने में लग गए हैं। मिक्सी, आटा चक्की मशीन समेत अनेक आधुनिक इलेक्ट्रानिक मशीन युग में भी यहां पारंपरिक नक्काशीदार जाता व अन्य पत्थर के उपकरण का बाजार जिदा है। नगरा, सिकंदरपुर के बालूपुर व बांसडीह से गोरखनाथ व नंदू समेत करीब 20 की संख्या में मजदूर पूरे परिवार के साथ यहां अभी से ही उक्त काम में लग गए हैं। करीब 52 बिघा में लगने वाले उक्त मेला में बिजली व साफ-सफाई तक की अब तक कोई मुकम्मल व्यवस्था नहीं हुई है। पूरे मेले का संचालन बिन बिजली ही अस्थायी जनरेटर के सहारे होता है।
मेले में मूलभूत सुविधा के अभाव में दुकानदार से लगायत कामगार स्वयं अपनी व्यवस्था करने को मजबूर हैं और अंधेरे में खुले आसमान के नीचे रहकर लगातार पत्थर के सामान बनाने में लगे हैं। मेले में खिलौना, मिठाई, प्रसाद, लाठी-डंडा, चाकू, भाला समेत पारंपरिक लोहे के हथियार व औजार की सैकड़ों दुकानें भी लगती हैं। मेला में इस बार मुख्य रूप में 13 अप्रैल से हजारों की भीड़ होगी और 14 से 22 अप्रैल तक विशेष भीड़ होने की उम्मीद जताई जा रही है। अव्यवस्था के कारण इस बार आचार संहिता बीच प्रशासन के लिए मेला की निगरानी भी किसी बड़े झमेले से कम न होगा।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।