रेडीमेड के बढ़ते क्रेज से दर्जियों का व्यवसाय प्रभावित
रेडीमेड कपड़ों के बढ़ते व्यापार का सीधा असर पैंट-शर्ट के कपड़ों का व्यापार कर रहे दुकानदारों पर पड़ा है। पहले कपड़ा खरीद कर लोग दर्जी को सिलने में हफ्ते दिन का समय देते थे आज रेडीमेड कपड़ों के बाजार में आने से ग्राहक आंखों के सामने देखा नापा और पसंद करके खरीद लिया। ऐसे में कपड़ों के व्यवसायी व दर्जियों का रोजगार प्रतिदिन कम होते हुए नजर आ रहा है।
जागरण संवाददाता, रसड़ा (बलिया) : रेडीमेड कपड़ों के बढ़ते व्यापार का सीधा असर पैंट-शर्ट के कपड़ों का व्यापार कर रहे दुकानदारों पर पड़ा है। पहले कपड़ा खरीद कर लोग दर्जी को सिलने में हफ्ते दिन का समय देते थे, आज रेडीमेड कपड़ों के बाजार में आने से ग्राहक आंखों के सामने देखा, नापा और पसंद करके खरीद लिया। ऐसे में कपड़ों के व्यवसायी व दर्जियों का रोजगार प्रतिदिन कम होते हुए नजर आ रहा है। ब्रांडेड कंपनियों के कपड़ों का कारोबार पिछले कई वर्षों से अधिक कम हो गया है।
युवाओं का मानना है कि रेडीमेड कपड़ों के शोरूम में प्रतिदिन नए डिजाइन में सिले-सिलाए कपड़े आते हैं। ऐसे में दर्जी के यहां कपड़े हफ्ते दिन का इंतजार करने पर भी भी वहीं पुराना मॉडल पहनने को मिलता है। हालांकि रेडीमेड कपड़ों की पसंद 40 वर्ष से नीचे के लोग ही ज्यादा कर रहे हैं। दुकानदारों का कहना है कि पहले जहां दुकानों पर कपड़ों का आर्डर देने के लिए भी भीड़ लगी रहती थी, वहीं अब रेडीमेड कपड़े आ जाने से दिन भर में किसी तरह दो-तीन कपड़े ही बिक पाते हैं। लड़कियां पहले सलवार सूट का उपयोग करती थीं, लेकिन बदलते हुए समय में जींस-टॉप, कैपी आदि सूट का प्रचलन बढ़ गया है।
दुकानदार अंकित कुमार ने बताया कि कीमत में भी सलवार सूट से ज्यादा इन कपड़ों की कीमत है फिर भी 95 प्रतिशत तक लड़कियां इसे ही पसंद कर रही हैं। दुकानदार रोहित कुमार ने बताया कि रेडीमेड पैंट-शर्ट 200 से लेकर 300 रुपये में उपलब्ध हा जाता है, जबकि कपड़ों की सिलाई 300 रुपये से भी अधिक बाजार में है। ऐसे में ग्राहक भी रेडीमेड कपड़ों को ज्यादा महत्व दे रहे हैं। दुकानदार रवींद्र गुप्ता ने बताया कि कुछ लोगों के बदौलत पैंट-शर्ट के कपड़ों का उपयोग कभी-कभार गिफ्ट देने के लिए ही किया जा रहा है।
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