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    फिर भी नहीं खत्म हो रहा कोटेदारी व्यवस्था से भ्रष्टाचार

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 02 Sep 2018 09:33 PM (IST)

    जागरण संवाददाता, बलिया : प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विगत शनिवार को यह एलान किया थ

    फिर भी नहीं खत्म हो रहा कोटेदारी व्यवस्था से भ्रष्टाचार

    जागरण संवाददाता, बलिया : प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विगत शनिवार को यह एलान किया था कि कोटेदारी व्यवस्था खत्म कर सब्सिडी की राशि सीधे लाभार्थियों के खातों में भेजी जाएगी। कोटेदार कोई दूसरा व्यवसाय कर लें। शासन की योजनाएं ईमानदारी से निचले तबके तक पहुंचे इसके लिए यह करना अब काफी जरूरी है, ताकि भूख, बीमारी और कुपोषण से कोई भी नहीं मर सके। इसके बाद से कोटेदारों में हड़कंप मचा है, वहीं आमलोग भी इसे कई तरह के नजरिए से देख रहे हैं। सामान्य लोग मानते हैं कि मुख्यमंत्री ने धरातल की असल तस्वीर का करीब से अध्ययन किया है। जयप्रकाशनगर के दलजीत टोला निवासी सुनील ¨सह, शिवपूजन ¨सह, गजेंद्र ¨सह, आसूं ¨सह, दोकटी के रामबली पांडेय, जयशंकर चौबे, अजीत ¨सह, बैरिया मित्र के मठिया निवासी पशुपतिनाथ ओझा सहित ऐसे दर्जनों लोगों से पूछने पर बताया कि ऐसा करने से काफी हद तक इस विभाग का भ्रष्टाचार कम हो जाएगा। अभी के समय में शासन के लाख प्रयास के बावजूद भी इस विभाग से भ्रष्टाचार खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। जिले के अधिकांश गांवों में यदि कोई कोटेदार एक माह राशन बांटता है तो वह दूसरे माह का राशन बाजारों में ब्लैक कर देता है। इस मामले में तहसील के अधिकारियों की भी मिली भगत है। वजह कि हर माह खाद्यान्न वितरण के लिए हर कोटेदार के यहां कर्मचारी नियुक्त होते हैं। जिनकी देखरेख में वितरण का सरकारी प्रावधान है। रजिस्टर पर मौजूद कर्मचारी का भी हस्ताक्षर होता है ¨कतु कर्मचारी मौके पर नहीं जाते। कोटेदार उनसे तहसील में ही जाकर अपने रजिस्टर पर सफल वितरण को रिपोर्ट लगवा लेते हैं। इस वजह से कार्डधारकों को हर माह राशन या मिट्टी तेल नहीं मिल पाता। उन्हें दो माह पर एक बार राशन या मिट्टी तेल मिलता है। ऐसी शिकायत तमाम गांवों की है।

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    --उठान के प्रमाण पत्र में है बड़ा घालमेल

    किसी भी कोटेदार को मासिक माल उठान के लिए प्रमाण पत्र की जरूरत होती है। यह प्रमाण पत्र गांव के प्रधानों को तब देना जब वे पिछले माह के राशन वितरण का पूष्टि कर लें। कई गांवों में प्रधानों ने जब इस पर प्रतिबंध लगाया तो कोटेदारों ने प्रमाण पत्र को दूसरा विकल्प यह कह कर खोज लिया कि वे संबंधित प्रधान के विरोधी हैं। इसके बाद वे लेखपाल या तहसील के अन्य कर्मचारी से यह प्रमाण पत्र लेकर माल का उठान करते हैं। इस मामले की गहन जांच हो जाए तो असंख्य लेखपालों ओर कोटेदारों की गर्दन फंसनी लगभग तय है।

    --राशनकार्ड में भी है बड़ा फर्जीवाड़ा

    अंत्योदय या पात्र गृहस्थी के राशनकार्ड में भी कई तरह के फजीवाड़ा सामने आया है। सूची में यूनिट का घालमेल अलग से है। पात्र गृहस्थी में चार माह पहले शादी किए युवाओं के लिए आठ और सात यूनिट है वहीं जो वाजिब हकदार हैं उन्हें एक या दो यूनिट दिया गया है। यह फर्जीवाड़ा भी कोटेदारों के इशारे पर किया जाता है। किसी कोटेदार की गलती पर आवाज उठाने वाले असंख्य कार्डधारकों के नाम कोटेदार अधिकारियों से मिलकर कटवा देते हैं। लोग दौड़ने रहते हैं ¨कतु उनका कुछ भी नहीं हो पाता।

    --जिसकी जहां मर्जी वहीं से जुड़ सकता है राशनकार्ड

    सरकार ने यह व्यवस्था लागू कर दी है कि गरीब जिस दुकान से चाहे, अपना राशनकार्ड जोड़कर राशन ले सकता है। सभी राशन कार्डों को आधार से जोड़ने का काम चल रहा है, इसके बावजूद भी गरीबों को हर माह राशन क्यों नहीं मिल रहा इस बात का जवाब किसी के पास नहीं है।

    --कटे नाम जोड़ने को लिखा है पत्र

    मुरलीछपरा के ग्राम पंचायत कोड़हरा नौबरार की प्रधान रूबी ¨सह ने कहा कि पंचायत में यूनिट के नाम पर जमकर घालमेल किया गया है। असंख्य लोगों के नाम काट दिए गए हैं। वहीं फर्जी लोगों के नाम कोटेदारों के कहने पर चढ़ाए गए हैं। इस बात की शिकायत जब हमने शासन से की तो वहां से बैरिया के उपजिलाधिकारी को सभी कटे नाम जोड़ने के निर्देश आ चुके हैं। इसके अलावा प्रति माह वितरण के लिए भी शासन को पत्र दिया है ¨कतु विभागीय अधिकारियों की अनदेखी से ये अरमान पूरे होते नहीं दिख रहे हैं।

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