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    बलिया समेत पूर्वांचल के 13 जिलों में गोंड जाति को अनुसूचित जन जाति का प्रमाण पत्र

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 07 Dec 2021 11:51 PM (IST)

    संग्राम सिंह बलिया उनका संघर्ष अंजाम तक पहुंच ही गया। वे कई दशक से खुद को यह साबित करन ...और पढ़ें

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    बलिया समेत पूर्वांचल के 13 जिलों में गोंड जाति को अनुसूचित जन जाति का प्रमाण पत्र

    संग्राम सिंह, बलिया

    उनका संघर्ष अंजाम तक पहुंच ही गया। वे कई दशक से खुद को यह साबित करने के लिए आंदोलित थे कि बाकी जातियों की तरह उन्हें भी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जन जाति की श्रेणी में रखा जाए ताकि सरकारी योजनाओं का धरातल पर लाभ मिल सके। इसके लिए गोंड, धुरिया, नायक, ओझा, पठारी व राजगोंड जाति के लोगों ने जिला, मंडल से लेकर राज्य मुख्यालयों तक बहुत लाठियां खाईं। विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश सरकार ने अब इन जातियों को बड़ी राहत दी है। बलिया समेत पूर्वांचल के 13 जिलों पर खास मेहरबानी हुई है, यहां के डीएम को अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र निर्गत किए जाने के आदेश जारी हुए हैं। उधर प्रदेश के 62 जिलों में अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी करने के लिए कहा गया है। प्रमुख सचिव के रविद्र नायक ने दो दिन पहले जिला प्रशासन को इस संबंध में विस्तृत निर्देश जारी किया है। डीएम को इसका कड़ाई से अनुपालन कराने के लिए कहा है। समाज कल्याण विभाग को भी समन्वय स्थापित करना होगा। इन जातियों से ताल्लुक रखने वाले जिले में करीब 1.30 लाख लोग हैं। उन्हें एसटी (शिड्यूल ट्राइव) सर्टीफिकेट के लिए तहसीलों की गणेश परिक्रमा नहीं करनी पड़ेगी। ----

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    पूर्वांचल के जिलों में बनेंगे अनूसूचित जन जाति के प्रमाण पत्र वाराणसी, बलिया, आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, जौनपुर, सोनभद्र, मीरजापुर, देवरिया, गोरखपुर, महाराजगंज, सिद्धार्थनगर और बस्ती में अब गोंड, धुरिया, नायक, ओझा, पठारी व राजगोंड जाति को अब अनुसूचित जन जाति का प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा। इसके अलावा भदोही और चंदौली समेत 62 अन्य जिलों में अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र। बलिया में गोंड जाति के लोग सदर तहसील में सर्वाधिक हैं, यहां करीब 45 हजार लोगों को फायदा मिलेगा। हालांकि सिकंदरपुर, बिल्थरारोड, रसड़ा और बैरिया तहसील में भी इनकी संख्या काफी है।

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    मांगे जाते थे 1950 में जारी हुए राष्ट्रपति के आदेश प्रमाण पत्र जारी करने के लिए राजस्व अधिकारी व कर्मचारी गोंड जाति के लोगों से 1950 में निर्गत राष्ट्रपति के आदेश मांगते थे। उनकी फाइलों पर जाति सही नहीं है। साक्ष्य स्पष्ट नहीं है। भूमिहीन गोंड जाति के लोगों से भू-राजस्व अभिलेख में नाम नहीं दर्ज होने की आपत्ति लगाई जाती थी। सोहांव के बादल कुमार व नरही के रमेश कुमार ने बताया कि वे गोंड जाति से हैं। प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया तो तहसील कर्मचारियों ने उसे खारिज कर दिया। सहतवार के छात्र अजीत कुमार ने बताया कि स्कूल में प्रमाण पत्र की जरूरत थी। आवेदन किया लेकिन नहीं बनाया गया।

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    आदेश जारी हुआ है। लेखपाल व कानूनगो स्तर से लापरवाही बरती जा रही है। अब ऐसा नहीं होगा। शासनादेश के अनुपालन में शत प्रतिशत कार्रवाई की जाएगी।

    - सदानंद सरोज, तहसीलदार, सदर, बलिया ।