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    मां कपिलेश्वरी भवानी मंदिर

    जिला मुख्यालय से नौ किमी दूर राष्ट्रीय राजमार्ग-31 पर कपुरी के पास बलिया- फेफना मुख्य मार्ग पर

    By JagranEdited By: Updated: Thu, 22 Mar 2018 10:08 PM (IST)
    मां कपिलेश्वरी भवानी मंदिर

    जिला मुख्यालय से नौ किमी दूर राष्ट्रीय राजमार्ग-31 पर कपुरी के पास बलिया- फेफना मुख्य मार्ग पर स्थित मां कपिलेश्वरी भवानी का प्रसिद्ध मंदिर है जो लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है। वैसे तो पूरे वर्ष यहां दर्शन पूजन करने वालों की भारी तादात जुटती है, ¨कतु शारदीय व वासंतिक नवरात्र में यहां पूर्वांचल के भिन्न-भिन्न जनपदों से लाखों भक्त आते हैं। मान्यता है कि मां के दरबार में मत्था टेकने वाले श्रद्धालुओं की सभी मुरादें पूरी होती हैं। इतिहास कपिलेश्वरी भवानी मंदिर का इतिहास काफी प्राचीन है। बहुत दिनों पहले मंदिर स्थल के आसपास घनघोर जंगल हुआ करता था। इसमें ¨हसक जानवर आदि रहते थे। उन दिनों गंगा नदी यहीं से होकर बहती थी और तट के समीप ही महान ऋषि कपिलमुनि का आश्रम था। कपिल मुनि ने एक दिन एक पत्थर पर एक देवी की प्रतिमा उकेरी और स्थापित कर दिया। चूंकि प्रतिमा का अभ्युदय व नामकरण कपिलमुनि के स्वर से हुआ था तब से इस देवी को कपिल स्वरी कहा जाने लगा जो बाद में कपिलेश्वरी के नाम से प्रसिद्ध हुईं। धीरे-धीरे लोगों को जंगल में प्रतिमा होने की जानकारी हुई तो लोग दर्शन पूजन के लिए वहां जाने लगे। इस तरह स्थान को ख्याति मिली और वहां छोटा सा मंदिर निर्मित हो गया। मंदिर पर आने व मांगी मुराद पूरी होने के कारण मंदिर लोगों में आस्था का केंद्र बन गया। परिस्थितियां बदली व देखते ही देखते वहां भव्य मंदिर बन गया। विशेषतामां कपिलेश्वरी भवानी के दरबार में आकर माथा टेकने वालों की प्रत्येक मनचाही मुराद अवश्य पूरी होती है। एक ¨कवदंती है कि एक बार कुछ चोर मंदिर में गया और सफल होने का वरदान मांगा। चोर जब अपनी योजना में असफल हो गया तो गुस्से में आकर कपिलमुनि द्वारा उकेरी गई प्रतिमा वाले उस पत्थर को खंडित कर बगल में स्थित पोखरे में फेंक दिया। अगले दिन जब भक्त पूजा को गए तो प्रतिमा न देख काफी निराश हुए। तब कपिलेश्वरी भवानी ने एक भक्त को स्वप्न दिखाया कि मेरी खंडित प्रतिमा पोखरे में है। अगले दिन भक्तों ने पोखरे से दो टुकड़ों में बंटे उस पत्थर को ढूंढ निकाला। खंडित प्रतिमा की पूजा नहीं होती इसलिए भक्तों ने एक देवी प्रतिमा का निर्माण कराया और उस खंडित प्रतिमा को मूर्ति के पीछे चुनवा दिया। माता रानी के दरबार में मन्नतें पूरी होती गईं और लोग मंदिर की भव्यता प्रदान करने में सहयोग करते गए। मां कपिलेश्वरी भवानी के दरबार में पूरी श्रद्धा से जिसने जो मांगा उसकी मनोकामना निश्चय ही पूरी हुई। वर्ष भर श्रद्धालुजन यहां आते हैं। संतान सुख से वंचित दंपती यहां अपनी मुराद लेकर मां के दरबार में आते है जिसकी मनोकामना माता रानी उनकी गोद भर कर पूर्ण करती है।

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    -आशीष पाण्डेय, पुजारी।

    मां कपिलेश्वरी भवानी के दरबार से मेरी ही नहीं मेरे पूरे परिवार की आस्था जुड़ी हुई है। हम सभी हमेशा मां के दरबार में मत्था टेकने व दर्शन पूजन के लिए जाते हैं। मां के दरबार में पहुंच भवानी जी का ध्यान लगाते ही मुझे आत्मिक शांति मिलती है।

    -अंजनी कुमार ओझा, भक्त, कपुरी नारायणपुर।