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    Flood in UP: बलिया में गंगा का जलस्तर घटा, मगर कटान ने बढ़ाई मुश्किलें; गांवों में दहशत का माहौल

    Updated: Sun, 31 Aug 2025 02:52 PM (IST)

    बलिया में गंगा का जलस्तर घटने से लोगों को राहत मिली है लेकिन कटान का खतरा अभी भी बरकरार है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को चारे और उपचार की समस्या से जूझना पड़ रहा है। प्रशासन की ओर से सहायता में कमी के कारण लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। चांददियर गांव अभी भी बाढ़ में डूबा हुआ है।

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    गंगा में दो सेमी प्रति घंटा घटाव, नहीं टला कटान का खतरा।

    जागरण संवाददाता, बलिया। गंगा का जलस्तर रविवार से कम हाेने लगा है। इससे बाढ़ क्षेत्र के लोग राहत महसूस कर रहे हैं, लेकिन कटान का खतरा अभी नहीं टला है। नौरंगा में अभी भी अफरा-तफरी मची है। कई मकान कटान के मुहाने पर खड़े हैं।

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    किसानों की भूमि भी लगातार नदी में समाहित हो रही है। बाढ़ क्षेत्र के लोग पूरे एक माह से तंग हैं। तीसरी बार पानी बढ़ने पर प्रशासन की सक्रियता भी पहले की तरह से नहीं है, जबकि दुश्वारियां पहले से ज्यादा हैं। दुबे छपरा, बादिलपुर क्षेत्र में पशुपालक पशुओं के चारा को लेकर परेशान हैं।

    पहले भी उन्हें प्रशासन की ओर से भूसा वितरित नहीं किया गया था। इस बार भी उन्हें कोई मदद नहीं मिल रही है। गांवों से पानी निकलने में अभी एक सप्ताह का समय लग सकता है। पानी कम होने पर संड़ांध से सर्वाधिक परेशानी होती है।

    रविवार को सुबह आठ बजे गंगा का जलस्तर 59.540 मीटर दर्ज किया गया। एक दिन पहले 59.600 मीटर पर था। गंगा का जलस्तर अभी भी मध्य खतरा निशान से 1.985 मीटर ऊपर है। सरयू का जलस्तर मध्य खतरा बिंदु 64.010 से नीचे 63.480 मीटर पर पहुंच गया है। गंगा में दो सेमी प्रति घंटा घटाव हो रहा है। सरयू में पिछले पांच दिनों से घटाव जारी है।

    बाढ़ क्षेत्र में उपचार की बड़ी समस्या

    बाढ़ क्षेत्र में लोगों के उपचार की समस्या ज्यादा है। बादिलपुर पोखरा बस्ती के भोला वर्मा, राजीव वर्मा आदि ने बताया कि गांव में पानी भरा है, नाव की व्यवस्था भी नहीं है। इस दौरान किसी की तबियत खराब होने पर मन घबराने लग रहा है। पिछली बार के बाढ़ के दौरान दवा आदि का दिया जा रहा था, लेकिन इस बार पीड़ितों की खबर लेने वाला कोई नहीं है।

    सरयू के बाढ़ से अभी भी डूबा है चांददियर

    जनपद के अंतिम छोर पर स्थिर चांददियर गांव सरयू के बाढ़ से अभी भी डूबा हुआ है, लेकिन वहां के लोगों की सुधि भी तहसील प्रशासन की ओर से नहीं लिया जा रहा है। वहां भी सभी लोग अपने हाल पर हैं। गांव के लोग पानी रेंगते हुए सड़क तक पहुंच रहे हैं और जरूरी सामान ले जा रहे हैं।

    पीड़ितों की समस्या के तरफ प्रशासन का नहीं ध्यान

    जागरण संवाददाता, मझौवा : बाढ़ से घिरे पीड़ितों की समस्या की ओर प्रशासन का ध्यान नहीं है। ग्राम पंचायत बहादुरपुर के जवही नई बस्ती के निवासी विशंभर चौबे, नेम छपरा के सूर्य देव पांडेय ने बताया कि बस्ती में घर के पास चारों तरफ बाढ़ का पानी फैला हुआ है।

    किसी तरह सुबह भोजन बन जा रहा है तो रात को भी बासी भोजन ही खाना पड़ रहा है। प्रकाश की कोई व्यवस्था नहीं होने से विषैले जीवों से हमेशा भय बना हुआ है। बिजली काटने के बाद प्रशासन को जेनरेटर की व्यवस्था देनी चाहिए थी, लेकिन पीड़ितों को अंधेरे में छोड़ दिया गया है।

    रेपुरा ग्राम के रामलाल, अनूप यादव, मोहन यादव ने बताया किअब पानी कम हो रहा है, लेकिन परेशानी कम नहीं हो रही है। हरिहरपुर ग्राम के श्री भगवान यादव, अरुण ओझा आदि ने बताया कि रामगढ़ से लेकर रेपुरा गांव की लगभग 25 हजार की आबादी भोजन, प्रकाश की व्यवस्था, स्वच्छ पेयजल, चिकित्सा, आवागमन की मुख्य समस्या से जूझ रही है। अब प्रशासन की ओर से कोई देखने भी नहीं आ रहा है।