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    सभी को समझना होगा वृक्षों का महत्व, तभी बचेगा जीवन

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 31 May 2018 09:33 PM (IST)

    जागरण संवाददाता, बलिया : पेड़-पौंधे हमे ऑक्सीजन प्रदान करते हैं, साथ ही जलवायु सुधार, जल संरक्षण, मिट

    सभी को समझना होगा वृक्षों का महत्व, तभी बचेगा जीवन

    जागरण संवाददाता, बलिया : पेड़-पौंधे हमे ऑक्सीजन प्रदान करते हैं, साथ ही जलवायु सुधार, जल संरक्षण, मिट्टी के संरक्षण, और वन्य जीवन की भी सुरक्षा करते है। प्रकाश संश्लेषण या के दौरान पेड़ पौधे कार्बन डाइऑक्साइड ले लेते हैं और ऑक्सीजन को छोड़ते हैं। यही ऑक्सीजन मनुष्य को सांस लेने और जीवित रहने में मदद करता है। एक एकड़ के पेड़-पौधों से लगभग छह टन कार्बन डाइऑक्साइड खत्म होता है और चार टन ऑक्सीजन वायु को पेड़ों के माध्यम से प्राप्त होता है। इतने ऑक्सीजन से 18 से 20 लोग आराम से एक वर्ष तक जीवित रह सकते हैं। सूरज की तपती किरणों को धरती तक पहुंचने से भी रोकते है लंबे वृक्ष। जनपद का हर क्षेत्र हरा-भरा रहे इसके लिए सभी को तत्काल जागरूक होने की जरूरत आ पड़ी है।

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    -हरित पेड़--एक प्रतिशत से कम

    -पांच वर्ष में लगे पौधे--दस लाख से अधिक

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    सबको छांव देता हैं बेनी बाबा ब्रह्म स्थान का पुराना बरगद पेड़

    जासं, बांसडीह : बांसडीह में गांव का सबसे अधिक पुराना बरगद का पेड़ बेनी बाबा ब्रह्म स्थान पर है जो आज भी सबको छांव देता हैं। इस पेड़ को गांव के बुजुर्गों ने लगाया था। आज वहां तीसरी और चौथी पीढ़ी भी उस पुराने पेड़ से सुख ले रही है। इसी पेड़ के नीचे गांव की बैठकी भी होती है। ----------वर्जन------ -आयुर्वेदिक ग्रन्थों में जहां एक ओर स्वस्थ जीवन जीने के लिए अनेक सुझाव दिए गए हैं वहीं दूसरी ओर विभिन्न पेड़-पौंधों का उल्लेख भी किया गया है। इनके बिना जीवन सम्भव नहीं है। मैं यह संकल्प लेता हूं कि जब तक जीवित रहूंगा पेड़-पौधों को सुरक्षित रखूंगा।

    -ब्रजेश वर्मा, पूर्व सैनिक, आदर।

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    अनेक रोगों के उपचार में नीम, नीबू, बेल, तुलसी, हल्दी, हींग, अदरक, लहसुन, जीरा, सौंफ एवं काली मिर्च सहित अनेक पेड़-पौंधो एवं उनके विभिन्न उत्पादों का प्रयोग किया जाता है। मैं यह संकल्प लेता हूं कि पेड़-पौधों को लगाने व इन्हें सुरक्षित रखने के प्रति सदैव तत्पर रहूंगा।

    -धनन्जय प्रताप ¨सह।

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    पेड़ पौधों के बिना जीवन संभव नहीं हैं। इन्हें लगाने के साथ ही बचाने का सबको प्रयास करना चाहिए। यह संकल्प मैं पहले से भी ले रखा हूं। अभी भी मेरा यही संकल्प है।

    -केशव प्रसाद ¨सह।

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    गांव स्तर पर मिलकर हमें यह संकल्प लेना होगा तभी हम स्वस्थ्य भी रहेंगे और हमारी आयु भी लंबी होगी। गांवों में अब पेड़ों की संख्या में कमी आना ¨चतनीय बात है।

    -पंकज पाण्डेय।

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    पेड़-पौधे प्रकृति की सुखदायक संतानें मानी जाती हैं। स्वयं पेड़-पौधे भी अपनी प्रकृति मां की तरह अन्य सभी जीव- जंतुओं का उपकार किया ही करते हैं। मेरा भी यह संकल्प है कि मैं हमेशा पौधे लगाने और उन्हें सुरक्षित रखने के प्रति तत्पर रहूंगा।

    -नीरज वर्मा। --पर्यावरण संरक्षण का उदाहरण बना जेपी ट्रस्ट स्मारक परिसर शाम की बेला हो, सुबह का समय या फिर चांदनी रात यदि आप लोकनायक जयप्रकाश नारायण के गांव सिताबदियारा के जयप्रकाशनगर में स्थित जेपी ट्रस्ट परिसर का नजारा देख लें तो निश्चित रूप से आप कई तरह के ख्यालों में डूब जाएंगे। दरअसल अब वहां के दृश्य ही कुछ इस कदर हैं। हर तरफ पौधे ही पौधे नजर आएंगे। वह भी ऐसे पौधे जो शायद ही अन्यत्र कहीं और दिख जाएं। यह सब संभव हो सका है इसी ट्रस्ट के सचिव रविशंकर ¨सह पप्पू के बदौलत। उनके ही प्रयासों से यहां तैनात हर कोई पौधों को अपने बच्चों की तरह देखभाल करता है।

    वह हृदय नहीं है पत्थर है जिसे पौधों से प्यार नहीं

    इस ट्रस्ट के व्यवस्थापक व जेपी नारायण ग्रामीण प्रौद्योगिकी केंद्र के प्राचार्य अशोक कुमार ¨सह ने पौधारोपण के प्रति खुद की उत्सुकता बयां करते हुए कहते हैं कि जिन पौधों के बदौलत हम ¨जदा है, यदि उनके प्रति ही हमारे हृदय में कोई लगाव नहीं है तो हमारा हृदय पत्थर नहीं तो और क्या है। बताया कि यहां किसी भी उत्सव पर और कोई आयोजन हो या न हो, पौधारोपण जरूर होता है। चाहे वह पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की जयंती हो, पर्यावरण दिवस हो या अन्य उत्सव। बताया कि इस परिसर में लगभग 250 प्रजाति के आम, अमरूद व अन्य पौधे लगाए गए हैं। यह सिलसिला अभी भी जारी है।