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    राम-लक्ष्मण को मांगने पर भड़क गए दशरथ, गुरु वशिष्ठ के समझाने पर माने

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 29 Mar 2022 05:23 PM (IST)

    जागरण संवाददाता रतसर (बलिया) स्थानीय नगर पंचायत के बीका भगत के पोखरा स्थित शिव मंदिर परि ...और पढ़ें

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    राम-लक्ष्मण को मांगने पर भड़क गए दशरथ, गुरु वशिष्ठ के समझाने पर माने

    जागरण संवाददाता, रतसर (बलिया) : स्थानीय नगर पंचायत के बीका भगत के पोखरा स्थित शिव मंदिर परिसर में चल रहे श्रीराम कथा महायज्ञ में मंगलवार को कथा व्यास मुनीश महाराज ने कथा सुनाई। कहा कि दशरथ के यहां राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न जब उनके आंगन में खेल रहे थे तो दशरथ सहित तीनों रानियां हर्षित हो रहीं थीं। जंगल में राक्षस विश्वामित्र को यज्ञ नहीं करने दे रहे थे। ऋषि विश्वामित्र राम और लक्ष्मण को लेने के लिए अयोध्या में राजा दशरथ के यहां पहुंच गए। कहा कि यज्ञ की रक्षा के लिए राम व लक्ष्मण को मांगने आया हूं। इतना सुनते ही राजा भड़क गए व अपने पुत्रों को देने से मना कर दिया। बाद में गुरु वशिष्ठ के समझाने पर राजा ने अनुमति दी। मुनीश महाराज ने कहा कि यज्ञ संपन्न होने के बाद दोनों भाई उनसे शिक्षा ग्रहण करने लगे। इसी बीच विश्वामित्र को राजा जनक के सीता स्वयंवर का आमंत्रण मिला। वे राम और लक्ष्मण के साथ जनकपुर की ओर प्रस्थान कर दिए। चलते-चलते वहां पहुंचे जहां पर अहिल्या पत्थर की शिला बनकर पड़ी थीं। जैसे ही भगवान राम ने उस शिला पर अपना पैर लगाया अहिल्या प्रकट होकर प्रभु की वंदना कर स्वर्ग को चली गईं। इसके पूर्व यज्ञाचार्य संकल्प महाराज एवं संतोष कृष्णन द्वारा मंडप में देवी-देवताओं की वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ विधि-विधान से पूजा-अर्चना की गई। वहीं सुबह से श्रीराम और हनुमत प्रभु का स्मरण करते हुए सैकड़ों महिला-पुरुषों ने यज्ञ मंडप की परिक्रमा की।

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