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सीएम और डीएम से बड़े, एसओसी व डीडीसी चकबंदी

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By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Feb 2019 05:39 PM (IST)Updated: Wed, 20 Feb 2019 05:39 PM (IST)
सीएम और डीएम से बड़े, एसओसी व डीडीसी चकबंदी

जागरण संवाददाता, बलिया : प्रदेश में योगी आदित्य नाथ ने मुख्यमंत्री की कमान संभालते ही बेलगाम अधिकारियों पर लगाम लगाते हुए जनता की समस्याओं को सुनने के लिए हर कार्य दिवस को सुबह नौ बजे अपने कार्यालय में बैठने का आदेश दिया था, लेकिन जिले में सीएम के आदेश को कुछ अधिकारी पलीता लगा रहे हैं।

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जी हां, हम बात कर रहे हैं चकबंदी विभाग के आला अधिकारी एसओसी और डीडीसी की। ये अधिकारी जनता की समस्या सुनना तो दूर ,आमजन की कौन कहे अधिकारियों तक का फोन उठाने से परहेज करते हैं। बात करने में अपनी तौहीनी समझने वाले इन अधिकारियों के चलते लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इन अधिकारियों की मनमानी से आए दिन सैकड़ों फरियादी परेशान हो रहे हैं। एक तो मुकदमा निस्तारण की लंबी प्रक्रिया ग्रामीणों की कमर तोड़ रही है। वहीं इन जिम्मेदारों का व्यवहार उन्हें मानसिक रुप से उत्पीड़ित करने में काफी अहम भूमिका निभा रहा है।

कलेक्ट्रेट में उप संचालक चकबंदी व बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी के न्यायालय के बाहर हर रोज ऐसे सैकड़ों किसान बैठे मिल जाएंगे जो पत्नी या मां का जेवर गिरवी रख कर अपने अधिकार की लड़ाई लड़ रहें हैं लेकिन अधिकारियों की मनमानी के चलते मुकदमों का निस्तारण नहीं हो पा रहा है। बेबस किसान अधिकारी और बाबू की टेबल का चक्कर काटने को मजबूर हैं।

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अगली तारीख के भी लगते हैं पैसे

किसान को अपने मुकदमे की अगली तारीख के लिए भी विभाग के बाबूओं को पैसा देना पड़ता है। अगर किसी किसान के पास पैसा नही है तो मजबूरी में उसे किसी से उधार लेकर पैसा देना ही है। वहीं जिलाधिकारी भवानी ¨सह खंगारौत ने सभी विभाग के अधिकारियों को अवैध वसूली को लेकर चेतावनी दी है लेकिन इन अधिकारियों को सीएम और डीएम के आदेशों की धज्जियां उड़ाने में मजा आ रहा है।

अपर जिलाधिकारी ने कहा कि इन अधिकारियों के खिलाफ इस प्रकार की शिकायतें बार-बार मिल रही हैं। शासन के निर्देश के बावजूद कार्यालय में उपस्थित न रहना कर्तव्यहीनता की श्रेणी में आता है। इनके खिलाफ नोटिस जारी की जाएगी। साथ ही इन शिकायतों के आधार पर विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की जाएगी।


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