भारतेंदु हरिश्चंद्र ने "भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है?" पर ददरी मेले से कभी किया था राष्ट्र चिंतन, आ चुका है अब इतना बदलाव
भारतेंदु हरिश्चंद्र ने 'भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है?' विषय पर ददरी मेले में राष्ट्र चिंतन किया था। समय के साथ मेले में बहुत बदलाव आया है, लेकिन उनका चिंतन आज भी प्रासंगिक है और देश की प्रगति के बारे में सोचने के लिए प्रेरित करता है।

ददरी मेले की बलिया में चल रही तैयारियां।
जागरण संवाददाता, बलिया। एक आयु वर्ग के लोग जानते होंगे कि "भारत वर्षोन्नति कैसे हो सकती है?" पर ददरी के मेले से भारतेंदु हरिश्चंद्र का राष्ट्र विमर्श उपजा जो शैक्षिक पाठ़यक्रम का भी हिस्सा बना। उस समय के ददरी मेले से लेकर आज तक के कलेवर में कितना बदलाव आया है यह जानना हो तो मेला परिक्षेत्र का रुख कर सकते हैं।
मेले में घोड़े की टाप से उड़ती धूल उतनी ही है। बस बैलगाड़ी और घोड़ागाड़ी की जगह कारों और बाइक सहित अन्य वाहनों ने ले लिया है। कारोबारी अभी भी पशुओं के लिए आते हैं। दूध देने वाले पशुओं की डिमांड अधिक अब भी है। यही गंवई भारत है जो आज तक जीवंत है। पिछड़ा जिला का तमगा अब भी बरकरार है। बस बदला है तो मेले में आधुनिक झूले और मोमोज, पिज्जा, बर्गर की डिमांड। बदलाव की बयार तो है लेकिन कारोबार के बीच सियासी रार भी है, भारतेंदु का मंच तो वही है बस राष्ट्र चिंंतन की कमी अखरती है।
इस बार ददरी मेला में वेंडिंग जोन की 600 से अधिक दुकानों के लिए खुली नीलामी शुक्रवार को सीडीओ ओजस्वी राज की अध्यक्षता में गठित समिति के समक्ष हुई। नीलामी में एसके कंस्ट्रक्शन के टुन्ना सिंह ने सबसे ऊंची 7.85 लाख रुपये की बोली लगाकर टेंडर अपने नाम कर लिया। ददरी मेला में फुटपाथ पर सजने वाली दुकानों से रोजाना तीस रुपए शुल्क वसूलने के लिए जिला प्रशासन और नगर पालिका की ओर से शुक्रवार को वेंडिंग जोन की नीलामी आयोजित की गई।
सुबह 11 बजे से आयोजित होने वाली नीलामी की कार्रवाई करीब डेढ़ की देरी से शुरु हुई। नीलामी में एसके कंस्ट्रक्शन के अलावा कपिलेश्वरी कंस्ट्रक्शन और उमाशंकर कंस्ट्रक्शन ने प्रतिभाग किया। नीलामी की बोली पांच लाख से शुरु हुई। जबकि नीलामी की बोली में पांच हजार का अंतर निर्धारित रहा। नीलामी का सजीव प्रसारण यू-ट्यूब के माध्यम से भी कराया गया। सीआरओ त्रिभुवन ने बताया कि इस पिछले वर्ष (2024) में वेंडिंग जाने की नीलामी 4.65 लाख तक पहुंची थी।लेकिन इस वर्ष नीलामी में 3.20 लाख रुपए की बढ़ोतरी दर्ज हुई।
बांस-बल्ली के सहारे मेला में दौड़ेगी बिजली, चार दिन बाद बिछ रहे तार
ददरी मेला में इस बार बांस- बल्ली के सहारे ही बिजली की सप्लाई होगी। जबकि पूरे मेला परिसर को विद्युतीकरण से जोड़ने में अभी और 24 घंटे का समय लग सकता है। इसके लिए चार दिनों बाद विभाग ने तार बिछाने और बांस गाड़ने शुरू कर दिए हैं। हालांकि शाम ढलने से पहले से ही मेला में अंधेरा पसर जा रहा है। जबकि अंधेरे रास्तों में चोरी- छिनैती का खतरा बना रहता है। पांच अक्टूबर से आयोजित हुआ ददरी मेला पिछले चार दिनों से अंधेरे में है।
इसके बाद हरकत में आए प्रशासन ने मेला में बिजली सप्लाई के लिए तार बिछाने का कार्य तो शुरु कर दिया। लेकिन इस बार बिजली के तारों को बांस- बल्ली के सहारे ही दौड़ाया जा रहा है। जबकि इसके पूर्व सीमेंटेड पोल लगाकर बिजली की सप्लाई दी जाती थी। आश्चर्य की बात तो यह है कि मेला में चौक और सार्वजनिक रास्तों को प्रकाशित करने वाली 30 हाईमास्क लाइटें भी पतले बांस पर टांग दी गई है। जिससे दुर्घटना की आशंका बनी हुई है। इस बारे में ईओ सुभाष कुमार ने बताया कि बांस- बल्ली से करंट फैलने का खतरा कम रहता है। इसलिए तारों को इस बार सीमेंटेड पोल की बजाय बांस- बल्ली पर दौड़ाया जा रहा है।
11 नवंबर को होगा केसरी का दंगल, 30 को समापन
- ददरी मेला में इस बार बलिया केसरी का दंगल 11 नवंबर
- 12 से 14 नवंबर के बीच विभिन्न खेलकूद प्रतियोगिताओं का आयोजन
- 30 नवंबर को बालीवुड नाइट्स के साथ ददरी मेला का समापन
- 12 नवंबर को वालीबाल,
- 13 को हाकी
- 14 को फुटबाल प्रतियोगिता
- 14 को संत समागम
- 16 को भोजपुरी नाइट्स
- 18 को लोक संगीत
- 20 को मुशायरा
- लोक नृत्य एवं गायन 23 को
- बलिया नाइट्स 24 को,
- कामेडी नाइट्स 26 को,
- कवि सम्मेलन 28 को और
- 30 नवंबर को बालीवुड नाइट्स का आयोजन होगा।
शुक्रवार को ददरी मेला में आजमगढ़ से जलपरी पहुंच गई
दो ट्रकों में भरकर आया जलपरी शो का सामान मेला में उतर चुका है। जल्द ही मेलार्थियों को जनपद के पहले वाटर शो का नजारा देखने को मिलेगा। पांच नवंबर कार्तिक पूर्णिमा से आयोजित होने वाला ददरी मेला इस बार काफी लेट लगा। मेले में दुकान आवंटन में देरी और संसाधनों के अभाव से अबतक मेला 40 प्रतिशत भी नहीं सज सका है। मेला में इस बार सर्कस भी नहीं आया है। जबकि दुकानें और झूला- चरखी भी अबतक पूरी तरह नहीं लगने से मेला में भीड़ भी कम ही पहुंच रही है।
ऐसे में व्यापारियों की उम्मीद मेला के पहले संडे की भीड़ पर टिकी हुई है। इसके लिए पिछले चार दिनों से नुकसान की मार झेलकर व्यापारी रविवार से पूर्व अपनी दुकान सजाने की जुगाड़ में लगे है। इस बीच शुक्रवार को आजमगढ़ से पहुंचा जलपरी शो का सामान लोगों में आकर्षण का केंद्र बना रहा। झूला संचालक मेरठ निवासी शुभम गुप्ता ने इस बार जलपरी के साथ सुनामी अद्भुत छाप छोड़ेगा। इसमें मेलार्थी जलपरी के शो देख सकेंगे।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।