यूपी के किसानों ने कैसे शुरू की G-9 केले की खेती? हो रहा इतना मुनाफा... जानकर चौंक जाएंगे
बलिया जिले में केले की खेती का चलन तेजी से बढ़ रहा है। सिताबदियारा के कुछ किसानों से प्रेरणा लेकर अब बैरिया क्षेत्र में भी किसान केले की खेती कर रहे हैं। उद्यान विभाग के अनुसार लगभग 200 हेक्टेयर में केले की खेती हो रही है जिसमें सरकार भी किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। प्रति हेक्टेयर 70 हजार रुपये का अनुदान भी दिया जा रहा है।

जागरण संवाददाता, बलिया। पहले केले की खेती के बारे में किसानों को कोई जानकारी नहीं थी। किसानों का मानना था कि इस मिट्टी पर रबी और खरीफ की फसल के अलावा किसी दूसरी फसल का उत्पादन नहीं हो पाएगा, लेकिन अब धारणा बदल चुकी है।
बिहार सिताबदियारा के कुछ युवा किसान प्रयोग के तौर एक दशक पहले चार एकड़ में केले की खेती किए थे। उनका मुनाफा देख अब बैरिया क्षेत्र में केले की खेती का दायरा बढ़ता जा रहा है। जिला उद्यान विभाग के आंकड़े के अनुसार अब 200 हेक्टेयर में केले की खेती हो रही है। द्वाबा क्षेत्र केले की खेती का हब बन चुका है।
किसानों में अधिकांश शिक्षित बेराेजगार युवा हैं। सरकार की ओर से भी इनको प्रोत्साहित किया जा रहा है। किसानों को जी-9 प्रजाति के केले की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर दो किस्तों 70 हजार रुपये अनुदान देने का भी प्राविधान है। यहां भुसावल की तरह बड़े आकार के केले का उत्पादन होने लगा है।

यहां का केला अब बिहार के सिवान, गोपालगंज, छपरा, बलिया, मऊ, गाजीपुर और वाराणसी तक जा रहा है। बैरिया क्षेत्र के टोला फतेहराय निवासी किसान सुरेश कुमार सिंह, पिंटू ने बताया कि शोभा छपरा, शंकरनगर, टोला फकरूराय, बकुल्हां, दया छपरा सहित अन्य इलाकों में केले की खेती ज्यादा हुई है। किसान तीन साल के लिए काश्तकारों से अनुबंध पर यह खेत लेते हैं। हर साल संख्या बढ़ती जा रही है।
कितनी लागत, कितना मुनाफा
बैरिया के ही लक्ष्मण छपरा निवासी युवा किसान नवीन सिंह ने बताया कि इस समय प्रति बीघा लागत लगभग एक लाख है। एक बीघा में लगभग 850 पौधे लगाए जाते हैं। 12 से 13 माह में फल तैयार हो जाता है। एक पौधा में 12 से 13 दर्जन (घवद) केले का उत्पादन होता है। सीजन में एक घवद ढाई से साढ़े तीन सौ रुपये तक बिक्री हो जाता है। बाजार अच्छा रहा तो मुनाफा भी डेढ़ से दो लाख प्रति बीघा हो जाता है।
केले की खेती करने वाले पंजीकृत किसानों को सरकार की ओर से भी प्रति हेक्टेयर 70 हजार रुपये का अनुदान दिया जाता है। पंजीकृत किसान बीज की खरीदारी करने के बाद जब रसीद जमा करते हैं तो उनके खाते में यह भुगतान कर दिया जाता है।
-जिला उद्यान अधिकारी अलका श्रीवास्तव।

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