बलिया वसूली मामला: जिले के सबसे कमाऊ थाने की श्रेणी में आता है नरहीं, 500 में से 400 रुपए खुद रखता था एसओ
बलिया के नरहीं थाने पर छापेमारी में पकड़े गए दलालों ने एडीजी को बताया कि वह थानाध्यक्ष और चौकी प्रभारी के कहने पर ट्रकों से वसूली करते थे। प्रति ट्रक से 500-500 रुपए वसूली करता था। इसमें से 400 रुपए थानाध्यक्ष पन्नेलाल जबकि 100 रुपए पिकेट ड्यटी पर रहने वाले सिपाही को दिया जाता था। उनका हिसाब थानाध्यक्ष महीने में करते थे।
महेंद्र दुबे, बलिया। वाराणसी के अतिरिक्त महानिदेशक पीयूष मोर्डिया और डीआईजी आजमगढ़ वैभव कृष्ण की छापेमारी ने बिहार-यूपी सीमा पर हो रही पुलिस के काले कारनामे की पोल खाेल दी। पुलिस विभाग में बिहार सीमा पर स्थित नरहीं थाना जिला ही नहीं बल्कि आसपास के जनपदों में सबसे कमाऊ थाने की श्रेणी में माना जाता है।
यहां पर तैनाती के लिए विभाग में बोली लगती है या फिर किसी उच्चाधिकारी के यहां से सीधे कमांडर के पास सूची भेज दी जाती है। पन्नेलाल पिछले 18 महीने से इस थाने पर तैनात थे। इस बीच कई थानों के थानाध्यक्ष बदले गए, लेकिन उनके ऊपर महकमा के किसी अधिकारी ने हाथ डालने की हिम्मत नहीं जुटा सका।
थानाध्यक्ष और चौकी प्रभारी के कहने पर होती थी वसूली
छापेमारी में पकड़े गए दलालों ने एडीजी को बताया कि वह थानाध्यक्ष और चौकी प्रभारी के कहने पर ट्रकों से वसूली करते थे। प्रति ट्रक से 500-500 रुपए वसूली करता था। इसमें से 400 रुपए थानाध्यक्ष पन्नेलाल, जबकि 100 रुपए पिकेट ड्यटी पर रहने वाले सिपाही को दिया जाता था। उनका हिसाब थानाध्यक्ष महीने में करते थे।
काेरंटाडीह में चौकी में भी की जा रही थी वसूली
इसी तरह काेरंटाडीह में चौकी में भी वसूली की जा रही थी। यह खेल दो-चार दिन से नहीं बल्कि पिछले डेढ़ साल से बेधड़क चल रहा था। बिहार से बालू, गिट्टी आदि लादकर गाजीपुर, गोरखपुर सहित अन्य जिलों में परिवहन करने वाले ट्रकों से मनमानी वसूली की जा रही थी। वसूली के चक्कर में कभी-कभी 10 से 15 किमी जाम लग जा रहा था। जाम में फंस गए तो अधिसंख्य लोग सुबह घर पहुंचते थे।
ट्रांसपोर्टर को लोकेशन और पुलिस से मिलाते थे दलाल
एडीजी की छापेमारी में पकड़ गए दलाल कोई बाहरी नहीं सभी स्थानीय ही हैं। वह ट्रांसपोर्टरों को पुलिस के लोकेशन के साथ ही साथ पुलिस से मिलने-मिलाने का भी काम करते हैं। जब कोई मनमाफिक थानेदार नहीं आता है तो वह लोकेशन बताकर ट्रकों को पास कराने का काम करते हैं। इसके साथ ही जैसे ही मनमाफिक थानेदार आते ही साठगांठ करा देते हैं। यह हर समय भरौली के गोलंबर से लेकर बिहार के बक्सर तक भ्रमण करते रहते हैं। रात में सक्रिय होकर ट्रकों को पास कराते हैं। इसमें गोलू ट्रांसपोर्ट का नाम भी एक दलाल ने बताया है।
शराब की तस्करी और बालू के परिवहन का चलता है खेल
बिहार से बालू के साथ ही साथ अन्य खनिजों का परिवहन भरौली से ही होता है। इस सड़क से सीजन में प्रतिदिन दो से तीन हजार ट्रकों का आवागमन होता है। वर्तमान में बालू खनन बंद होने के कारण इसकी संख्या कम हो गई है। अन्यथा पूरी रात जाम लगा रहता है। बिहार में बंदी के कारण शराब की तस्करी इन दिनों बलिया से सर्वाधिक हो रही है। यह सब खेल पुलिस के संरक्षण में चलता है।
डीआईजी को मिल रही थी पल-पल की जानकारी, पक्का निकला इनपुट
डीआईजी आजमगढ़ को पल-पल की जानकारी मिल रही थी। वह ब्लू टूथ के माध्यम से ऑनलाइन थे। ऐसा लग रहा था कि कोई स्थानीय व्यक्ति उन्हें जानकारी शेयर कर रहा है। उसके बताए गए ठिकानों पर सीधे वह पहुंच जा रहे थे। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक और डीआईजी को मिला इनपुट बिल्कुल पक्का निकला और वह अपने अभियान में सफल रहे। बताया जा रहा है कि डीआईजी यहां पर पुलिस अधीक्षक रह चुके हैं। उनका नाम यहां पर ईमानदार एसपी के रूप में लिया जाता है।
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