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    Balia News: मानसिक रोग के बढ़ते मामले चिंताजनक, शासन ने मन कक्ष किए स्थापित, रोज पहुंच रहे हैं मरीज

    प्रदेश में मानसिक रोग के बढ़ते मामले चिंताजनक हैं। इसका समय पर निदान आवश्यक है। इस समय ओवर थिंकिंग के मामले बढ़ते जा रहे हैं। जिला अस्पताल में स्थापित मन कक्ष में प्रतिदिन ऐसे एक-दो मरीज पहुंच रहे हैं जिनकी क्लीनिकल साइकोलाजिस्ट की टीम काउंसिलिंग करती है।

    By Sangram SinghEdited By: Nirmal PareekUpdated: Fri, 06 Jan 2023 03:05 PM (IST)
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    मानसिक रोग के बढ़ते मामले चिंताजनक, शासन ने मन कक्ष किए स्थापित

    जागरण संवाददाता, बलिया: कोई बात बार-बार परेशान कर रही है। मन में हर वक्त वही चीज घूम रही है। आप उसके बारे में अधिक सोचने लगे हैं तो यह सेहत के लिए ठीक नहीं है। यह अवसाद के रास्ते पर पहला कदम है। मानसिक रोग के बढ़ते मामले चिंताजनक हैं। इसका समय पर निदान आवश्यक है। इस समय ओवर थिंकिंग के मामले बढ़ते जा रहे हैं। जिला अस्पताल में स्थापित मन कक्ष में प्रतिदिन ऐसे एक-दो मरीज पहुंच रहे हैं जिनकी क्लीनिकल साइकोलाजिस्ट की टीम काउंसिलिंग करती है।

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    वहीं, मानसिक रोग के बढ़ते मामलों को देखते हुए शासन ने सभी जिला अस्पतालों में मानसिक स्वास्थ्य विभाग संचालित करने का फैसला किया है। इसके तहत मन कक्ष की स्थापना की गई है। सप्ताह में सोमवार, बुधवार व शुक्रवार को मरीजों की काउंसिलिंग की जाती है। भविष्य में इसमें 10 बेड आरक्षित किए जाएंगे। मानसिक रोगियों के उपचार के लिए ओपीडी चलेगी। फिलहाल यहां राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत भर्ती किए गए कर्मचारियों की टीम तैनात कर दी गई है जो मरीजों को परामर्श देती है। टीम में काउंसलर, मनोरोग नर्स, मनोरोग सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं। इसके अलावा अन्य पदों क सृजन भी किया गया है। उनकी तैनाती की प्रक्रिया भी जारी है।

    केस एक

    रामदहिनपुरम में रहने वाली एक महिला को सड़क पर चलते समय हर समय हादसे का भय सताता रहता है। वह मन कक्ष में पहुंचीं। यहां उन्होंने अपनी समस्या क्लीनिकल साइकोलाजिस्ट से साझा की। काउंसिलिंग के माध्यम से उन्हें काफी राहत मिली।

    केस दो

    बांसडीह के एक व्यक्ति को हमेशा घर से बाहर जाने पर परिवार वालों की चिंता सताती है। वे हमेशा उनके बारे में सोचते रहते थे। उन्हें मन कक्ष के बारे में पता चला तो वहां पहुंचे। वहां टीम ने पांच दिनों की काउंसिलिंग में उनके मन से भय निकाल दिया।

    लक्षण और बचाव

    नींद नहीं आना, उदास रहना, चिड़चिड़ापन, भूख कम लगना, घबराहट होना, निर्णय लेने में संशय, एक स्थान पर मन न लगना आदि। वहीं इस समस्या का बचाव ये है- गाना सुनें, समस्या साझा करें, डायरी लिखें, किताब पढ़ें, खेलकूद व अन्य गतिविधियों में शामिल हों, घर, कार्यक्षेत्र में सकारात्मक रहें।

    अवसाद से बचने में होगी सहूलियत

    मुख्य चिकित्साधिकारी डा.जयंत कुमार ने कहा कि शासन से मानसिक रोग विशेषज्ञ चिकित्सक की नियुक्ति होने के बाद उपचार शुरू कर दिया जाएगा। अन्य संसाधन बढ़ाने की प्रक्रिया चल रही है। इससे लोगों को अवसाद से बचने में काफी सहूलियत होगी।