बलिया में छत पर कपड़ा उतारने गई वृद्ध महिला पर बंदरों का हमला, गिरने से मौत
बलिया के सिकियां गांव में एक दुखद घटना घटी जहां 65 वर्षीय कांति देवी की बंदरों के हमले में मौत हो गई। वह छत पर कपड़े उतार रही थीं जब बंदरों के झुंड ने उन पर हमला कर दिया। घबराकर भागने के दौरान वह सीढ़ी से गिर गईं और उनकी मृत्यु हो गई।

जागरण संवाददाता, बलिया। सिकियां गांव में शुक्रवार को एक दुखद घटना में 65 वर्षीय कांति देवी पर बंदरों के झुंड ने हमला कर दिया। यह घटना उस समय हुई जब कांति देवी छत पर कपड़े उतारने गई थीं। अचानक बंदरों का झुंड छत पर पहुंच गया, जिससे वह घबरा गईं और कपड़े समेटते हुए सीढ़ी से नीचे भागने लगीं। इस दौरान उनका पैर फिसल गया और वह गिर गईं। परिवार के सदस्यों ने शोर सुनकर उन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
कांति देवी के पति का पहले ही निधन हो चुका था। उनके दो बेटे और दो बेटियां हैं, जो अब इस दुखद घटना के बाद गहरे सदमे में हैं। गांव के लोग बताते हैं कि पिछले कई वर्षों से बंदरों का आतंक बढ़ता जा रहा है। महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे प्रतिदिन इन बंदरों से परेशान रहते हैं। बंदर घरों के आंगन और छत पर रखी खाने-पीने की चीजें, कपड़े और अनाज को बर्बाद कर देते हैं, जिससे ग्रामीणों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने कई बार वन विभाग के कर्मचारियों से शिकायत की है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। इस घटना ने गांव में बंदरों के बढ़ते आतंक पर एक बार फिर से चिंता जताई है। कांति देवी की मौत ने इस समस्या की गंभीरता को उजागर किया है, और अब ग्रामीणों में इस मुद्दे को लेकर और अधिक जागरूकता फैलाने की आवश्यकता महसूस हो रही है।
कांति देवी की मौत ने न केवल उनके परिवार को बल्कि पूरे गांव को शोक में डाल दिया है। इस घटना ने यह भी स्पष्ट किया है कि बंदरों के बढ़ते आतंक को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है। ग्रामीणों का मानना है कि यदि समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो भविष्य में और भी गंभीर घटनाएं हो सकती हैं।
इस घटना ने यह भी दिखाया है कि कैसे वन्यजीवों और मानवों के बीच संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। ग्रामीणों की मांग है कि वन विभाग इस समस्या का समाधान करे और बंदरों के आतंक को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाए। कांति देवी की दुखद मौत ने इस मुद्दे को और अधिक गंभीर बना दिया है, और अब सभी की नजरें इस पर हैं कि क्या प्रशासन इस दिशा में कोई कार्रवाई करेगा।
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