बाबा बालेश्वर नाथ मंदिर
बलिया शहर के मध्य क्षेत्र में स्थापित बाबा बालेश्वर नाथ का मंदिर प्राचीन है। यहां हर वक्त श्रद्धा
बलिया : शहर के मध्य क्षेत्र में स्थापित बाबा बालेश्वर नाथ का मंदिर प्राचीन है। यहां हर वक्त श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है। सावन माह में यहां भक्तों की सबसे अधिक भीड़ होती है। गंगा नदी में स्नान करने के बाद भक्त बाबा का दर्शन-पूजन व जलाभिषेक करते हैं। रुद्राभिषेक आदि के लिए आसपास के साथ ही बिहार समेत अन्य प्रांतों के भी श्रद्धालु यहां आते हैं। मंदिर का इतिहास
बाबा बालेश्वर नाथ के मंदिर को सैकड़ों वर्ष पहले दियारा क्षेत्र में राजा बलि ने स्थापित किया था। गंगा की कटान की वजह से मंदिर का स्थान बदलता रहा है। वर्तमान स्थान पर मंदिर तीसरे परिवर्तन के बाद स्थापित हुआ है। यह निर्माण उस समय के विख्यात व्यापारी लक्षु भगत व बिल्लर भगत की पहल से हुआ है। कहा जाता है, लक्षु व बिल्लर भाई थे और उनकी 52 जिलों में गद्दी चलती थी। राजा बलि की नगरी बलिया का नाम पहले बलियाग था जो बलि की राजधानी मानी जाती थी। मान्यता है कि राजा बलि महान शिवभक्त थे। उन्होंने ही ऋषि वाल्मीकि से बालू का शिवलिग बनवाकर विधि-विधान से स्थापित कराया था। जब प्राण-प्रतिष्ठा की गई तो शिवलिग पत्थर का हो गया। यह पहला मंदिर नदी में विलीन हो गया लेकिन लोगों ने शिवलिग को निकाल लिया। दूसरी बार शहर बसा तो इसे अंग्रेज मजिस्ट्रेट ने एक हिदू ब्राह्मण अधिकारी से इसे स्थापित कराया। फिर बाढ़ आई तो मंदिर के नष्ट होने की संभावना देख उस समय के पुजारी शिवदेनी भारती व अन्य लोगों ने इसे बैलगाड़ी पर रख कर वर्तमान बलिया नगर ले आए और इसे स्थापित किया, जो आज बालेश्वर मंदिर के रूप मे विख्यात है। मंदिर की विशेषता
बालेश्वर नाथ मंदिर श्रद्धालुओं की अटूट आस्था व विश्वास का केंद्र है। उस समय नगर के बीचोंबीच धनाढ्य व्यवसायी लक्षु व बिल्लर ने इसका निर्माण कराया। यहां शिवलिग की स्थापना उस समय के महान संत मौनी बाबा ने कराई। मान्यता है कि मौनी बाबा की एक लंगोटी कमर तो एक आकाश में सूखती थी। यह मंदिर इतना विशाल बना है कि यहां वर्ष पर्यत अनुष्ठान व मांगलिक आयोजन आदि होते रहे हैं।
...
बाबा बालेश्वर नाथ मंदिर में आकर आस्था व विश्वास के साथ पूजा-पाठ करने वाले श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूरी हो जाती है। मान्यता है कि यहां श्रद्धा भाव से जो भी भक्त आते हैं वो कभी हताश व निराश नहीं होते है। शाम को सात बजे मंदिर के अंदर प्रतिदिन भजन कीर्तन का आयोजन किया जाता है। वहीं रात एक बजे बाबा का भव्य श्रृंगार व आरती होती है।
-बालेश्वर गिरि, पुजारी
----
सावन मास में अधिक भीड़ होती है। इस साल कोरोना को देखते हुए सोमवार को मंदिर का कपाट बंद रहेगा। भक्तों के सहयोग से मंदिर को भव्य बनाया गया है। यहां पर आसपास के जनपदों के अलावा बिहार से भी बाबा के भक्त आते हैं।
-अजय चौधरी डब्लू, प्रबंधक श्री बाबा बालेश्वर नाथ मंदिर प्रबंध कमेटी।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।