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    थानेदार और शिक्षा अधिकारी के बीच छिड़ी जंग, एक दूसरे पर लगा रहे झूठ बोलने का आरोप; भ्रष्टाचार से जुड़ा है मामला

    By Santosh SrivastavaEdited By: Shivam Yadav
    Updated: Mon, 23 Oct 2023 09:14 PM (IST)

    UP News - भारत-नेपाल सीमा से सटे तराई के बहराइच जिले में नौनिहालों की फर्नीचर खरीद में की गई अनियमितता का मामले में अब बीएसए व थानाध्यक्ष आमने-सामने है। दर्ज मुकदमे के आरोपियों को थानाध्यक्ष व विवेचक पर बचाने का आरोप लग रहा है। वहीं मामले के वादी बेसिक शिक्षा अधिकारी पर थानाध्यक्ष ने साक्ष्य न देने का आरोप लगाया है।

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    थानेदार और शिक्षा अधिकारी के बीच छिड़ी जंग, एक दूसरे पर लगा रहे झूठ बोलने का आरोप

    जागरण संवाददाता, बहराइच। भारत-नेपाल सीमा से सटे तराई के बहराइच जिले में नौनिहालों की फर्नीचर खरीद में की गई अनियमितता का मामले में अब बीएसए व थानाध्यक्ष आमने-सामने है। दर्ज मुकदमे के आरोपियों को थानाध्यक्ष व विवेचक पर बचाने का आरोप लग रहा है। वहीं, मामले के वादी बेसिक शिक्षा अधिकारी पर थानाध्यक्ष ने साक्ष्य न देने का आरोप लगाया है।

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    जिले के 762 उच्च प्राथमिक विद्यालय में 24135 फर्नीचर डेस्क-बेंच की आपूर्ति के लिए उत्तर प्रदेश कोआपरेटिव एंड कोल्ड स्टोरेज फेडरेशन लिमिटेड बहराइच को ठेका मिला। इसके लिए 32 लाख 20 हजार 575 रुपये का एफडीआर धरोहर के रूप में विभाग के नाम बंधक कर बैंक में जमा किया गया था। 

    फर्म को किया गया ब्लैकलिस्ट

    घटिया फर्नीचर आपूर्ति पर 17 जुलाई 2023 को फर्म को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था। बावजूद इसके शाखा प्रबंधक ने बंधक की गई 32 लाख की धरोहर राशि को फर्म के खाते में ट्रांसफर कर दिया। 

    मामले में डीएम मोनिका रानी के आदेश पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अव्यक्त राम तिवारी ने सात अगस्त को संस्था के अधिशासी अभियंता दिलीप कुमार शुक्ल एवं बैंक के शाखा प्रबंधक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। महीनों बीतने के बाद भी विवेचक विजय गुप्त की जांच ठिठकी हुई है। 

    इन्होंने कहा…

    दरगाह थानाध्यक्ष हरेंद्र कुमार मिश्र ने बताया कि निकाली गई रकम बंधक नहीं थी। यही नहीं उन्होंने शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों पर साक्ष्य नहीं देने का आरोप लगाया था। 

    एसओ की बयान के बाद जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अव्यक्त राम तिवारी ने कहा कि थानाध्यक्ष झूठ बोल रहे हैं। उन्होंने कहा कि दर्ज मुकदमे में थानाध्यक्ष या विवेचक ने उनसे अब तक साक्ष्य नहीं मांगा है।

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