कतर्निया में अप्रैल से हाथी की सवारी कर सकेंगे पर्यटक
कोरोना की वजह से दो वर्ष तक लगा रहा हाथियों की सवारी पर प्रतिबंध पर्यटकों को जंगल सफारी कराने के लिए दुधवा से मंगाए जाएंगे दो हाथी

बहराइच : कतर्निया की प्राकृतिक छठा का दीदार करने के लिए देश-विदेश से लोग सैर सपाटे के लिए आते हैं, लेकिन इन्हें दो वर्षों से हाथी की सवारी कर जंगल भ्रमण कर रोमांच का अनुभव नहीं हो रहा था। वन विभाग ने एक बार फिर पर्यटकों को हाथियों की सवारी कर जंगल के दुर्गम स्थलों का भ्रमण कराने का निर्णय लिया है।
सैलानी जंगल सफारी, बोटिग के अलावा हथिनी जयमाला व चंपाकली पर बैठ कर जंगल की सैर करते थे। पर्यटन सत्र के दौरान प्रतिदिन 30 से 40 पर्यटक हाथी पर सवार को जंगल भ्रमण का आनंद उठाते थे। बीते दो वर्षों से कोरोना काल की वजह से हथिनी की सवारी पर प्रतिबंध लग गया था। अब वन विभाग ने पर्यटकों को एक बार फिर हाथियों से भ्रमण कराने के लिए विशेष परियोजना तैयार की है। इसके लिए राष्ट्रीय प्राणि उद्यान दुधवा से दो हाथी और मंगाए जाएंगे। इन हाथियों पर बैठकर पर्यटक जंगल की प्राकृतिक छटा का आनंद ले सकेंगे।
अब कांबिग ही करेंगी जयमाला व पंचाकली
अब तक कतर्निया वन्य जीव विहार में दो हथिनी जयमाला व चंपाकली ही हैं, जिनका उपयोग आए-दिन बाघ-तेंदुए के हमले को देखते हुए कांबिग में किए जाने से पर्यटकों को भ्रमण कराने में दिक्कत आती थी। अब चंपाकली व जयमाला केवल कांबिग में ही इस्तेमाल की जाएंगी। कोट
जयमाला व चंपाकली सिर्फ कांबिग करेंगी। दुधवा के फील्ड डायरेक्टर संजय पाठक से दो हाथियों की मांग की गई है। उम्मीद है कि अप्रैल की शुरुआत में हाथियों की व्यवस्था हो जाएगी। इससे पर्यटक हाथी पर सवार होकर सैर कर सकेंगे।
- आकाशदीप बधावन, प्रभागीय वनाधिकारी कतर्निया के जंगलों में शुरू हुआ गणना का कार्य
बाघों के समुचित आहार के लिए शाकाहारी वन्यजीवों की गणना का कार्य कतर्नियाघाट, सुजौली, निशानगाड़ा, ककरहा, मोतीपुर, धर्मापुर, मुर्तिहा में शुरू हो गया है। गणना का आरंभ कतर्नियाघाट के प्रभागीय वनाधिकारी आकाशदीप बधावन के नेतृत्व में सातों रेंजों में हुआ।
कतर्नियाघाट रेंज में वन क्षेत्राधिकारी रामकुमार के नेतृत्व में वन दारोगा अनिल कुमार ने अलग-अलग बीट में मोर्चा संभाला। पहले दिन हिरन, चीतल, पाढ़ा, सुअर की मौजूदगी मिली। सुजौली रेंज में रेंजर प्रमोद श्रीवास्तव के नेतृत्व में गणना शुरू हुई। यहां चीतल, हिरन, नीलगाय देखे गए। वहीं निशानगाड़ा रेंज में वन दारोगा मनोज पाठक ने कार्य शुरू कराया। गणना के लिए प्रत्येक बीट में दो-दो किलोमीटर की ट्रांजिक्ट लाइन बनाई गई है। इससे इकोलाजिकल एप की गणना में जंगल के अंदर विचरण करने वाले विभिन्न प्रकार के शाकाहारी वन्यजीवों की मौजूदगी मिली। एप में विभिन्न प्रकार के वन्यजीवों के पग मार्क व विभिन्न प्रकार की घासें भी कैद हुई हैं। रेंजर रामकुमार ने बताया कि अगली बार शाकाहारी वन्यजीवों की गणना शुरू होगी।
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