गैंडों को रास आई कतर्निया की आबोहवा, सुजौली-निशानगाड़ा पसंदीदा स्थल; पर्यटकों का रोमांच बढ़ा
कतर्निया जंगल प्रवासी गैंडों को भा रहा है। ठंड में नेपाल लौटने की जगह, वे घाघरा नदी के किनारे दिख रहे हैं। लगभग 10 गैंडे कतर्नियाघाट वन क्षेत्र में हैं, जिससे यह पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है। सुजौली, निशानगाड़ा और कतर्निया रेंज के जंगल गैंडों के पसंदीदा स्थल हैं। वन विभाग गैंडा पुनर्वास केंद्र बनाने का प्रस्ताव भेज रहा है।

जागरण संवाददाता, बहराइच। प्रवासी गैंडों को कतर्निया जंगल का सुरक्षित वातावरण पूरी तरह रास आ गया है। यही कारण है कि अब ठंड के दिनों में नेपाल की ओर लौटने के बजाय पानी और घास की तलाश में घाघरा नदी की कछार की ओर दस्तक देने लगे हैं। इस समय जंगल में तकरीबन 10 गैंडे कतर्नियाघाट वन क्षेत्र की शोभा बढ़ा रहे हैं।
नेपाल के रायल बर्दिया नेशनल पार्क कभी गैंडों का मुख्य ठिकाना रहा है, लेकिन अब स्थिति बदल गई है। पर्यटकों को गैंडों के दीदार के लिए अब नेपाल नहीं बल्कि कतर्नियाघाट का सैर करना चाहिए। यहां आने वाले गैंडों को देखकर ग्रामीण व वनकर्मी रोमांचित हो रहे हैं। खासतौर से सुजौली, निशानगाड़ा एवं कतर्निया रेंज का जंगल गैंडों का पसंदीदा स्थल बन रहा है।
गेरुआ-कौड़ियाला और नेपाल की भादा (सरयू) नदी से घिरा होने के कारण गैंडों को नेपाल के रायल बर्दिया नेशनल पार्क से खाता कारीडोर के रास्ते कतर्निया जंगल में प्रवेश करने में कोई परेशानी नहीं होती है। यह पानी से भरपूर दलदली भूमि का इलाका है। यहां वर्षाकाल गर्मी व सर्दी के मौसम में गैंडों को पीने और नहाने का पानी उपलब्ध हो जाता है।
यहां लंबी घास व नरकुल की प्रचुरता है। पर्यटन सत्र शुरू होने के साथ ही कौड़ियाला बीट के जंगलों में गैंडे अकसर चहलकदमी करते देखे जाते हैं। कतर्नियाघाट के जंगलों में गैंडों की संख्या लगभग 10 तक पहुंच गई है, जो दो साल पहले के अनुपात में दोगुणा है। एक दशक पहले यहां अधिकतम चार गैंडे देखे जाते थे।
संरक्षित वन क्षेत्र खुला होने के कारण नेपाल के खाता कारीडोर के रास्ते गैंडों को कतर्निया जंगल में प्रवेश करने में कोई परेशानी नहीं होती है। बरसात में ज्यादा संख्या में गैंडे यहां आते हैं। यहां गैंडा पुनर्वास केंद्र की स्थापना का प्रस्ताव भेजा गया है। -सूरज कुमार, प्रभागीय वनाधिकारी

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