सुनहरा अतीत, मगर धुंधलाया वर्तमान
बहराइच) : ऐतिहासिकता को अपने आप में छिपाए पयागपुर का अतीत काफी गौरवशाली रहा है। अंग ...और पढ़ें

बहराइच) : ऐतिहासिकता को अपने आप में छिपाए पयागपुर का अतीत काफी गौरवशाली रहा है। अंग्रेजी हुकूमत से राजघरानों तक की घटनाओं का पयागपुर गवाह रहा है। आज भी कई गौरवशाली ऐतिहासिक अतीत समेटे पयागपुर की पुरानी इमारतें अपनी कथा कह रही हैं, लेकिन वर्तमान की उपेक्षा का दंश भी अतीत के इतिहास पर साफ नजर आ रहा है।
गौरवशाली अतीत को सहेजने के लिए न तो शासन आगे आ रहा है और न ही प्रशासन। इसके चलते ऐतिहासिक परि²श्य में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले पयागपुर की दुर्लभ तस्वीरें धुंधली होती जा रही हैं। पयागपुर कस्बा तीन हिस्सों में विभक्त है। गोंडा-बहराइच हाइवे पर स्थित यह ऐतिहासिक कस्बा रेल मार्ग से भी जुड़ा है। पयागपुर का पहला क्षेत्र ग्रामीण है। दूसरा कस्बा कोट बाजार ऐतिहासिकता को समेटे राजघराने का इतिहास प्रस्तुत कर रहा है। वहीं तीसरा क्षेत्र पयागपुर का भूपगंज बाजार है। इतिहास में झांक कर देखें तो पता चलता है कि पयागपुर की स्थापना वर्ष 1728 में जनवार वंशीय क्षत्रिय राजा प्रयाग शाह ने प्रयागपुर के रूप में की थी। कालांतर में यह पयागपुर के नाम से प्रचलित हुआ। पयागपुर के राजा हिम्मत बहादुर ¨सह ने वर्ष 1795 में पयागपुर मुख्यालय की स्थापना कोट बाजार के रूप में की गई थी। वर्ष 1884 में रेलवे स्टेशन का निर्माण होने पर राजा भूपेंद्र विक्रम ¨सह ने भूपगंज बाजार बसाया था। यह बाजार व्यापारिक व सामरिक ²ष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है। इस बाजार को जिले की द्वितीय गल्ला मंडी होने का गौरव भी प्राप्त है। पयागपुर को तहसील का दर्जा तो मिल गया, लेकिन इन सबके बावजूद नगर पंचायत का दर्जा नहीं मिल सका है। पयागपुर, रुकनापुर, नूरपुर, तालबघेल व सचौली ग्रामपंचायतों को मिलाकर तकरीबन नगर पंचायत का प्रस्ताव शासन को भेजा गया था। इन ग्रामपंचायतों की आबादी तकरीबन 25 हजार से अधिक होगी। सपा शासनकाल में बनाए गए नगर पंचायत के मसौदे पर मुहर नहीं लग पाई। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले इसकी अधिसूचना भी जारी की गई। आपत्तियां मांगी गईं। इसके बाद चुनावी शोर में नगर पंचायत गठन का मामला दब गया। भाजपा सरकार बनने के बाद लोगों में उम्मीद जागी है। पयागपुर के भाजपा विधायक सुभाष त्रिपाठी कहते हैं कि नगर पंचायत गठन का प्रस्ताव कहां और किस स्तर पर लटका है, इसकी तहकीकात की जाएगी। इसके बाद पयागपुर को नगर पंचायत का दर्जा दिलाए जाने का प्रयास किया जाएगा। हाल फिलहाल अतीत गौरवशाली वाले पयागपुर को नगर पंचायत का दर्जा कब मिलेगा, इसकी तस्वीर कब बदलेगी? उन्नत और बेहतरी के लिए जनप्रतिनिधि कदम कब उठाएंगे, इस आस में यहां के लोग पलके बिछाए बैठे हैं।

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