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    जीवन के लिए खतरा बन रहा पॉलीथिन

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 19 Jul 2018 12:13 AM (IST)

    बहराइच : प्लास्टिक इंसान, जानवर समेत प्रकृति को भारी नुकसान पहुंचा रहा है। थैलियों, दूध

    जीवन के लिए खतरा बन रहा पॉलीथिन

    बहराइच : प्लास्टिक इंसान, जानवर समेत प्रकृति को भारी नुकसान पहुंचा रहा है। थैलियों, दूध और पानी की बोतलों, लंच बॉक्स या डिब्बा बंद खाद्य पदार्थों का सेवन मनुष्य को जानलेवा बीमारियों की ओर ढकेल रहा है। गर्मी व धूप आदि कारणों से प्लास्टिक विषैले प्रभाव उत्पन्न करती हैं, जो कैंसर जैसी कई बीमारियां पैदा करती हैं। सच्चाई तो यह है कि प्लास्टिक अपने उत्पादन से लेकर इस्तेमाल तक सभी अवस्थाओं में पर्यावरण और समूचे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए खतरनाक है।

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    पॉलिथिन कचरा मानव से लेकर पशु-पक्षियों के लिए घातक सिद्ध हो रहा है। लोगों में तरह-तरह की बीमारियां फैल रही हैं, जमीन की उर्वरा शक्ति नष्ट हो रही है और भूगर्भीय जलस्त्रोत दूषित हो रहे हैं। प्लास्टिक के ज्यादा सम्पर्क में रहने से लोगों के खून में थैलेट्स की मात्रा बढ़ जाती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि प्लास्टिक बोतलों में पाए जाने वाली खास तत्व थैलेट्स मनुष्य की सेहत पर प्रतिकूल असर डालते हैं। इनकी वजह से हारमोनों का रिसाव करने वाली ग्रंथियों का क्रिया-कलाप भी बिगड़ जाता है। इससे गर्भवती महिलाओं के शिशु का विकास रुक जाता है और प्रजनन अंगों को नुकसान पहुंचता है। विशेषज्ञों की माने तो प्लास्टिक उत्पादों में प्रयोग होने वाला बिस्फेनाल रसायन शरीर में मधुमेह और लीवर एंजाइम को असंतुलित कर देता है। इसी तरह पॉलिथीन कचरा जलाने से कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और डाइऑक्सी जैसी विषैली गैसें उत्सर्जित होती हैं। इनसे सांस, त्वचा आदि से संबंधित बीमारियां होने की आशंका बढ़ जाती है। यही नहीं हमारे शरीर में पहुंचने पर दिल, गुर्दे, लीवर और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। इससे कैंसर और भ्रूण के विकास में बाधा समेत कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। खतरा तो दूध की प्लास्टिक बोतलों को लेकर भी है। प्लास्टिक की बोतल में रासायनिक द्रव्यों की को¨टग होती है। बोतल में गरम दूध डालने पर यह रसायन दूध में मिलकर बच्चे के शरीर में पहुंच कर नुकसान पहुंचाता है।

    किसी भी रूप में प्लॉस्टिक का प्रयोग ठीक नहीं

    हमारी दिनचर्या में सुबह से शाम तक प्लास्टिक निर्मित इतनी चीजें शामिल रहती हैं कि उनसे बचना कठिन है। जीवन से जुड़ी हर जरूरत के सामान में प्लास्टिक ने घुसपैठ कर ली। आज प्लास्टिक को एक समस्या के रूप में देखा जा रहा है। बड़ी कंपनियों के सामान की 80 फीसद पै¨कग में प्लॉस्टिक के कवर से लेकर रस्सियां तक इस्तेमाल में लाए जाते हैं। किसी भी रूप में प्लॉस्टिक सेहत के लिए ठीक नहीं है।

    डॉ. पारितोष मिश्रा, वरिष्ठ फिजीशियन

    दवाओं में इस्तेमाल प्लॉस्टिक पर भी लगे बैन

    दवाओं की प्लास्टिक शीशियां और बोतलें मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण, दोनों के लिए हानिकारक हैं। कई तरह के सिरप, टॉनिक और दवाएं प्लास्टिक पै¨कग में बेची जाने लगी हैं। इनकी वजह यह है कि ये शीशियां और बोतलें सस्ती पड़ती हैं और इनके टूटने का खतरा भी नहीं होता। लेकिन इन दवाओं का प्रयोग करने वालों की सेहत पर इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा है। लिहाजा इस पर भी बैन लगाने की सख्त जरूरत है।

    डॉ. एहतिशाम अली, बालरोग विशेषज्ञ

    गर्भवती महिलाओं के लिए घातक है पॉलीथिन

    चित्र परिचय - 18बीआरएच 12 डॉ.अंजू श्रीवास्तव

    पॉलीथिन गर्भवती महिलाओं व शिशुओं की सेहत के लिए घातक है। गर्भावस्था के दौरान पॉलीथिन में पैक खाद्य पदार्थों के सेवन का सीधा असर गर्भस्थ शिशुओं के विकास पर पड़ता है। प्लॉस्टिक की बोतल में गर्म दूध का सेवन बच्चों को नुकसान करता है। कई प्रकार की बीमारी की चपेट में भी ऐसे बच्चे आ जाते हैं।

    डॉ. अंजू श्रीवास्तव, महिला रोग विशेषज्ञ

    त्वचा के लिए हानिकारक है प्लास्टिक

    चित्र परिचय - 18बीआरएच 11 डॉ.मुकेश ¨जदल

    कई प्रकार के प्लास्टिक के निर्माण में फार्मल्डेहाइड का उपयोग किया जाता है। यह रसायन त्वचा पर चकत्ते पैदा कर सकता है। कई दिनों तक इसके संपर्क में रहने से अस्थमा और श्वसन रोग हो सकते हैं। त्वचा लंबे समय तक प्लास्टिक के संपर्क में होती है तो प्लास्टिक में छुपे रसायन कहर बरपा सकते हैं।

    डॉ. मुकेश ¨जदल, चर्मरोग विशेषज्ञ

    बच्चों ने लिया शपथ, पॉलीथिन मुक्त करेंगे घर-आंगन

    जागरण के पॉलीथिन पाबंदी के अभियान को अब स्कूली बच्चों व शिक्षकों का भी साथ मिल गया है। शहर के नई बस्ती बक्शीपुरा में स्थित रणजीत ¨सह शिक्षण संस्थान में बुधवार को शपथ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। विद्यालय के वरिष्ठ शिक्षक एलआर मौर्य ने बच्चों को पॉलीथिन के प्रयोग न करने की शपथ दिलाई। छात्र-छात्राओं ने कहा कि हम संकल्प लेते हैं कि पॉलीथिन में पैक खाद्य वस्तुओं का इस्तेमाल न तो वे घर व स्कूल में करेंगे। आबोहवा को स्वच्छ करने व बीमारियों के पोषक बने पॉलीथिन को हराने के लिए अभिभावकों से निवेंदन करेंगे। इंचार्ज श्रवण कुमार शर्मा ने बच्चों को पॉलीथिन से पर्यावरण को हो रहे नुकसान के बारे में बताया। 500 बच्चों ने शपथ कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस मौके पर उप प्रधानाध्यापिका अलका ¨सह, शिक्षक सुरेश चंद्र, अवधेश कुमार, अर¨वद पाठक, विवेक शुक्ला, एसएस प्रजापति, सावित्री ¨सह, शिखा वर्मा, बबिता तिवारी, मानसी शुक्ला, उमा मिश्रा,लायक राम ने भी पॉलीथिन के बहिष्कार का संकल्प लिया।

    बच्चों ने रैली निकाल किया जागरूक

    शहर के लिटिल एंजिल्स स्कूल के बच्चों ने बुधवार को जागरूकता रैली निकाली। बच्चों ने शहर के मुख्य चौक-चौराहों का भ्रमण कर पॉलीथिन, डिस्पोजल गिलास व कप के इस्तेमाल से पर्यावरण को हो रहे नुकसान से लोगों को सचेत किया। इस मौके पर कतर्नियाघाट फ्रेंड्स क्लब के अध्यक्ष भगवानदास लखमानी ने भी अपने सदस्यों के साथ रैली में प्रतिभाग कर लोगों से पॉलीथिन का पूर्ण बहिष्कार करने की अपील किया। दुकानदारों को कागज के लिफाफे बांटकर उन्हें इसके इस्तेमाल के लिए प्रेरित भी किया। इस मौके पर असफिया जैदी, दीपचंद्र पाठक, मृत्युंजय पांडे, रवि श्रीवास्तव, सतीश अवस्थी, अशोक तिवारी, दीपेंद्र पाठक, योगेंद्र मिश्रा मौजूद रहे।