यूपी में मनरेगा में सक्रिय श्रमिक 2.80 लाख, काम कर रहे मात्र 18 हजार मजदूर
बहराइच में मनरेगा के तहत 2.80 लाख पंजीकृत श्रमिकों में से केवल 18 हजार ही काम कर रहे हैं। रोजगार के अवसरों की कमी और प्रशासनिक चुनौतियों के कारण कई श्रमिक निष्क्रिय हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति प्रभावित हो रही है। सरकार को मनरेगा को प्रभावी बनाने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है।

मनरेगा में सक्रिय श्रमिक 2.80 लाख।
जागरण संवाददाता, बहराइच। मनरेगा में मजदूरी कम होने के साथ सचिव और प्रधान के भ्रष्टाचार से मनरेगा के कार्यों में मजदूर रूचि नहीं दिखा रहे हैं। ऐसे में गांवों में चलने वाले विकास कार्यों में दिन प्रतिदिन मजदूरों की संख्या घटती जा रही है।
जिले में महज 17 से 18 हजार श्रमिक ही गांवों में चल रहे विकास कार्य में भागीदारी निभा रहे हैं। जबकि पंजीकृत मजदूरों की संख्या 5 लाख से अधिक है। इनमें 2.80 लाख श्रमिक सक्रिय हैं।
मनरेगा योजना गांव के मजदूरों का पलायन रोकने के लिए शुरू की गई थी। योजना में प्रत्येक मजदूर को उसी के गांव में कम से कम 100 दिन का काम दिए जाने की गारंटी है। मजदूर काम से कतराने लगे हैं।
आरोप है कि प्रधान व सचिव काम तो मजदूरों से करा लेते हैं,लेकिन मजदूरी के लिए वह महीनों यहां से वहां दौड़ाते हैं। यहां तक कि फर्जी मजदूरों का मस्टर रोल भरकर भुगतान भी लेने की शिकायतें खूब आती हैं।
शिकायत करने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं होती है। जिस पर थका हारा मजदूर घर बैठ जाता है। दूसरी वजह मनरेगा में कम मजदूरी भी है। गांव में मजदूरी 270 रुपये है जब कि शहर में मजदूरी 450 रुपये मिलती है।
एक नजर आंकड़ों पर
जिले में मनरेगा विभाग में 5 लाख 26 हजार 79 श्रमिक पंजीकृत हैं। इनमें से गांव में काम करने मांगने वाले 3 लाख 27 हजार 152 जाबकार्ड में से मात्र 2 लाख 80 हजार 367 श्रमिक ही पूरी तरह से सक्रिय हैं, लेकिन इनमें से वर्तमान समय में मात्र 17 से 18 हजार श्रमिक गांव में कार्य कर रहे हैं। इस प्रकार देखे तो सक्रिय श्रमिकों में से मात्र 15 फीसदी श्रमिक ही गांव में इस समय काम कर रहे हैं।
पिछले कई माह से श्रमिकों की संख्या में कमी दिख रही है। इस समय 17 से 18 हजार श्रमिक काम कर रहे हैं। काम मांगने पर उन्हें काम दिलाया जाता है। जल्द ही इसमें सुधार दिखेगा। -रविशंकर, पांडेय, उपायुक्त श्रम रोजगार, बहराइच।

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