35 श्रमिकों ने सीखा वर्मी कंपोस्ट बनाने का तरीका
मिट्टी की उर्वरा शक्ति क्षीण होती जा रही है। ...और पढ़ें

जासं, बहराइच : कृषि विज्ञान केंद्र प्रथम की ओर से गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत प्रवासी श्रमिकों को प्रशिक्षित किया गया। तीन ब्लॉकों के 35 श्रमिकों को स्वरोजगार व आत्मनिर्भर बनाने के लिए वर्मी कंपोस्ट व वर्मी वॉश उत्पादन विषय पर जानकारी दी गई।
केंद्र प्रभारी अधिकारी डॉ. एमपी सिंह ने वर्मी वॉश इकाई स्थापित करने के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए अधिक मात्रा में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग किया जा रहा है, जिसके अनेक दुष्प्रभाव सामने आ रहे हैं। वर्मीवॉश व वर्मी कंपोस्ट के प्रयोग से फसलों की 25 फीसद पैदावार में बढ़ोतरी हो जाती है। उन्होंने बताया कि वर्मी वॉश बनाने के लिए 200 लीटर का टोटीनुमा ड्रम लेकर अंदर ईंट व पत्थर के टुकड़े बिछाकर उसके ऊपर बजरी, बालू व पतली मिट्टी की परत पर दो से ढाई फुट गोबर डालकर ड्रम को भर दिया जाता है। 10 दिनों तक लगातार ड्रम में पांच लीटर पानी डालकर सफाई करते हैं। दो से तीन किलोग्राम केंचुआ डालकर पुआल से ढक देना चाहिए। डॉ. शैलेंद्र सिंह, डॉ. आरके पांडेय, प्रशिक्षण समन्वयक डॉ. उमेश बाबू, गृह वैज्ञानिक रेनू आर्या, सहायक निदेशक रेशम डॉ. एसबी सिंह मौजूद रहे। प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र वितरित किया गया।

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